माँ जैसा कोई नही ( काव्य रचना )

माँ जैसा कोई नही देख ली दुनिया सारी पर माँ के बीना कोई अपना बना ही नही, माँ जैसा कोई नही।

माँ की ममता बीन सुना पडा है घर का हर कोना, लोग कहते है अब तुम रहती नही दुनिया मे कही।

ये दुनिया क्या जाने कि माँ कभी मरती ही नही, पुछ ले कोई मुझ से आकर कभी।

माँ एक अहसास है, माँ एक विश्वास है, माँ हिम्मत है, माँ ही साहस होती है मेरी प्यारी माँ।

माँ जैसा कोई नही देख ली दुनिया सारी पर माँ बीना कोई अपना बना ही नही, माँ जैसा कोई नही।

मै जब तक जिन्दा हुँ माँ तुम कभी मर सकती ही नही, मेरे हर जज्बातो मे मिल जाती हो तुम कही।

मतलब की है, दुनिया मतलब से साथ निभाती है, मतलब निकल जाने पर आँख दिखा जाती।

एक माँ ही तो है जो बीन मतलब साथ निभा जाती है, मेरी संतान को मेरी जरुरत है यह सोच दौडी चली आती है।

माँ जैसा दुनिया मे कोई नही, देख ली दुनिया सारी पर माँ के बीना अपना कोई बना ही नही , माँ जैसा कोई नही।

भीड हो या तन्हाई हो माँ तुम साथ रहती हो मेरी यादो मे सदा ही। भूल तुम्हे दुनिया जाये सभी।

मै माँ को भूलु कैसे माँ बीना मेने जीना सिखा ही नही, लोग कहते तुम दुनिया मे हो ही नही।

वे आकर पुछे मुझसे कभी, तुम अभी भी जिन्दा हो मेरी याद मे कही, कैसे कह दु की माँ दुनिया मे है ही नही।

जब भी चोट लगती थी मेरे कभी भाग कर आती और मरहम पट्टी कर देती थी तभी।

आज दुखो का चाहे पहाड खडा हो, मै बोझ से दबी कहराती रही पर कोई पास आता ही नही।

अगर तुम जिन्दा होती तो मेरी हर आह निकलने से पहले ही तुम मेरे सामने खडी हो जाती।

माँ जैसा कोई नही, देख ली दुनिया सारी पर बीना माँ के अपना कोई बना ही नही , माँ जैसा कोई नही।

तमाशवीन बन जाती है दुनिया, दुसरो के आँशु बहते देख खुश बहुत होती है दुनिया।

एक माँ ही तो है, जो अपनी संतान की आँख से एक बूंद टपकने से पहले खुद रो जाती है।माँ पहले ही रो जाती है।

दुनिया पहले अपना स्वार्थ देखती फिर साथ निभाने आती है, एक माँ ही तो है जो बीना स्वार्थ जीवन भर साथ निभा जाती है।

माँ जिन्दा हो तो दौडी आती, मर जाए तो यादो के किसी कोने से निकल सिर सहला जाती है।

लोग कहते माँ दुनिया मे है ही नही पर मै जानती हुँ तुम मेरी यादो मे जिन्दा रहोगी सदा ही।

यमराज जब लेने आएगा अन्तिम सांस गिनवाएगा तब भी तुम खडी होगी साथ मेरे ही।

जब भी मै होती किसी मुश्वित मे तो ऊई माँ ही तो मुँह से निकलती, कैसे मानलु कि अब तुम दुनिया मे हो ही नही।

माँ जैसा कोई नही, देख ली मेरी सारी दुनिया ही पर माँ के बीना अपना कोई बना ही नही, माँ जैसा दुनिया मे कोई नही।

माँ जैसा दुनिया मे कोई नही, माँ जैसा दुनिया मे कोई नही।

( मेरा यह काव्य संसार की हर माँ को समर्पित है जो अपनी जान से भी ज्यादा संतान की चिन्ता करती है। माँ को कभी मरने मत देना दुनिया से चली भी जाये तो भी अपनी यादो मे उसे जिन्दा रखना और यादो के पन्नो को उल्ट-पल्ट कर रोज माँ को देख लिया करना। )

माँ तुझे सलाम, माँ तुझे लाखो बार नमन )

जय माता दी

जय श्री राम

http://चित्रा की कलम से

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3 विचार “माँ जैसा कोई नही ( काव्य रचना )&rdquo पर;

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