आपने बहुत बार सुना होगा कि कुण्डली विश्लेषक कहते है कि इस कुण्डली मे काल सर्प दोष बन रहाँ है। इस काल सर्प दोष के नाम पर आप से हजारे रुपये लुट लिए जाते है। शायद ही कोई विश्लेषक बताता होगा कि काल सर्प जीवन मे होने वाली बहुत बडी हानि से बचा भी लेता है। सदैव इस काल सर्प दोष को बुरा फल देने वाला कह कर डराया जाता है। मेने कुछ ऐसी कुण्डलियाँ भी देखी है कि जिस मे से काल सर्प दोष हटा लिया जाए तो बहुत बडे अनर्थ हो जाए। चलिए कुछ जानकारी हांसिल करे काल सर्प के दोष अशुभ है या महा अशुभ होने से बचाव करने वाले है।
काल सर्प दोष ——
जब कुण्डली मे सभी शुभ या अशुभ ग्रह राहु और केतु के बीच मे आ जाते है। इसे काल सर्प दोष कहते है। राहु केतु की लपेट मे सभी ग्रहो के आने के कारण कुण्डली मे काल सर्प दोष बन जाता है।
काल सर्प दोष समाप्ति ——-
जब कोई ग्रह राहु केतु की पकड से बाहर निकल जाए तो वह काल सर्प दोष को भंग करता है। इसी तरह अगर काल सर्प दोष नजर आ रहाँ ,है मगर इसमे राहु या केतु के संग बैठा ग्रह राहु केतु से अधिक बलवान है तो भी काल सर्प दोष भंग हो जाता है। मानो कि गुरु ( वृहस्पति ) और केतु दोनो एक ही स्थान पर विराजमान है। ऐसी स्थिति मे अगर गुरु का बल केतु व राहु से अधिक है तो केतु और राहु की पकड से वह बाहर हो जाएगा अपने पुरे बल से वह काल सर्प दोष समाप्त कर देगा। अगर सूर्य या चंद्र राहु केतु के संग बैठे हो तो वहाँ यह ग्रहण दोष निर्मित करेगा। ऐसे मे सूर्य चंद्र राहु केतु से अधिक बलशाली हुए तो वह राहु केतु के दुष परिनाम मे कमी ला देगे।
काल सर्प अशुभ ——-
जब कुण्लडी मे एक या अधिक या सभी ग्रह राहु केतु के अलावा सभी शुभ फल देने वाले हुए और ऐसी स्थिति मे काल सर्प दोष निर्मित होता अशुभता की निशानी होता है। ऐसा इस लिए कि जो शुभ ग्रह व्यक्ति को शुभ फल देने वाले होते है वह राहु केतु की पकड मे आ जाने से बांधित हो जाते है। वह अपना शुभ फल व्यक्ति तक नही पहुचा पाते। ऐसा व्यक्ति ( जातक ) कितने भी बडे राज योग ले कर पैदा क्यो ना हुआ हो उसे सफलता नही मिलती या फिर सफलता हांसिल करने मे कडा संघर्ष करना पडता है। ऐसे लोगो को कडा संघर्ष करने पर भी पुरी तरह से सफलता नही मिल पाती है।
काल सर्प अशुभता नष्ट करने वाला ——–
अभी हमने जाना कि काल सर्प अशुभ फल देता है। इसी तरह अशुभता की काट भी करता है। जब एक या अधिक ग्रह अशुभ फल देने वाली स्थिति मे होते है तो ऐसे मे बनने वाला काल सर्प अशुभता को नष्ट करने वाला मित्र बन जाता है। माना कि किसी व्यक्ति की कुण्डली मे एक या अनेक ग्रह सप्तम भाव पर अपना बुरा प्रभाव डाल रहे है। यहाँ तक कि अगर ऐसी कुण्डली से काल सर्प दोष को हटा लिया जाये तो 100 प्रतिशत तलाक होना सम्भव हो जाए,
जैसे उदाहरण के तौर पर लगन मे सूर्य पूर्ण बलशाली, सप्तम मे शनि ,मंगल पूर्ण बल लिए बैठे हो तो ऐसे जातक का विवाह विच्छेद होना तय है इसे कोई मिटा नही सकता। ऐसी स्थिति मे अगर राहु केतु इन ग्रहो अपनी लपेट मे बंधक बना लेते है यानि सभी ग्रह राहु और केतु के बीच मे आ जाते है तो काल सर्प निर्मित होने से बाकि सभी ग्रह बंधक ( बंदी ) बन जाते है। ऐसी स्थिति मे वह सभी ग्रह अपना पूर्ण फल नही दे पाते और बुरे ग्रह के बुरे प्रभाव व्यक्ति को प्रभावित नही करते उनका तलाक टल जाने की स्थिति मे चला जाता है। तलाक तो टलता है पर गृहस्थि मे तु-तु-मै-मै बनी रहती है पति-पत्नि मे प्यार ना के बराबर रहता है।
राहु केतु से निर्मित होने वाला काल सर्प दोष सभी शुभ व अशुभ ग्रहो को बांध देते है। जैसे पुलिस किसी कैदी को हथकडियो मे बांध देती है। वह बंधा हुआ कैदी अपनी मर्जी से कही आ जा भी नही सकता है। वह वही कर सकता है जिसे करने की उसे छुट मिलती है। इसी तरह काल सर्प दोष शुभ व अशुभ फल देने वाले ग्रहो को बांध देते है। ऐसी स्थिति मे शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त नही होते मगर खराब ग्रह स्थिति लाभ दायक बन जाती है क्योकि यह खराब ग्रहो से मिलने वाले खराब परिणामो से बचाव करवा देता है।