जो परम शक्ति ईश्वर दुनिया मे बाहर है वही हमारे शरीर के भीतर भी है। हमारी जिव्हा ( जीभ ) और कंठ पर माँ सरस्वती, हद्यकाश ( हद्य ) मे विष्णु, नाभी-पेट मे ब्रहमा, भृकुटि मध्य शिव, आँखो मे सूर्य,चंद्र,पैरो मे शनि, हाथो मे लक्ष्मी निवास करते है। यह हमारे मुख्य अंग है जिससे शरीर सुन्दर, स्वथ्य बनता है। जब हम तामसी भोजन मुँह मे रखते है तो माँ सरस्वती का स्थान जिव्हा व कंठ अपवित्र हो जाता है। इससे हमारी धी, धृति, मेधा, स्मृति, बुद्धि, विवेक इन का क्षय होने लगता है। इससे हमारे जीवन मे दुख-कष्ट रुपी राक्षस उत्पन्न होते है।
जिस कारण हमे पाप और पुन्य का विवेक नही रहता। यही से ना-ना भांति के क्लेश शरीर मे और दुनियादारी मे आ जाते है। जितना हो सके खुद को अच्छी जीन्दगी जीने के लिए शुद्ध सात्विक आहार-विहार लेना चाहिए। बस अगर आप इतना भी कर लेते है तो समझो खुद को दुखो से प्रोटेक्ट कर लिया। पाप दो तरह से होते है। एक पाप जो बुरे कर्मो को करते हुए मरते है नरक मे जाते है। दुसरा पाप अपने जीते जी अपने शरीर और बुद्धि को गलत आदतो मे लगा कर खुद के लिए जिना मुश्किल कर लेते है। जैसे नशा करने से फैंफडे ,लीवर, किडनी, आंते गलती है।
तामसी भोजन ( मांस,मछ्ली,मदिरा ) खाने से भी लीवर,आंतो, किडनी, मोटापा, शुगर, बी.पी की समस्या, मान्सिक रोग इससे स्वाथ्य खराब तो होता ही है, साथ मे बुद्धि मे दोष उत्पन्न होने लगते है। बुद्धि सही वक्त पर सही निर्णय नही ले पाती। दुसरो मे कमी निकालने लगते है। चोरी, रिश्वत लेना, धोखा देना, व्यभिचार करना, दुसरो को शारिरीक या मान्सिक तौर पर कष्ट पहुंचाना खुद को सुपर और दुसरो को हीन समझना ऐसे बुद्धि भ्रम के दोष उत्पन्न हो जाते है। देखा शुद्ध आहार-विहार ना हो तो दुख आपके घर का दरवाजा खोल कर कब भीतर आ जाता है आपको पता भी नही चलता। अब आप केवल दवाईयो को गिनते रह जाते है। चेहरे का असली लावन्य चला जाता है, मैक-अप का सहारा लेते है।
घर मे कलह-क्लेश अपना स्थान बना कर आपके सामने ही आपके सोफे पर बैठ कर आप पर हँस रहाँ होता है, कि हे मुर्ख प्राणी अब क्यो भाग्य को कोसता है। मुझे तुने ही अपनी जीवन (लाईफ ) मे स्थान दिया है। तामसी भोजन उन्मांदता, मुर्खता, आलस्य, प्रमाद, रोग, शोक, लोभ, मोह, काम, क्रोध को पैदा करने वाले वह दुष्ट राक्षस है। यह आपके पास धन ( कागज की गडिया ) दौलत, नौकर-चाकर, सब होते है, मगर असली सकून छिन लेता है बस फिरते रहो नकली हँसी, बनावटी जीवन जीते रहो। एक बार इस फार्मुले को अपना कर तो देखो जीवन कैसे खुशहाल हो जाएगा।
वही आप वही आपके अपने जिनसे आप नफरत करने लगते है, सब प्रिय लगने लगेगे।भगवान कहते है तु एक बार मेरी राह पर चल कर तो देख मुझे अपना हम साया बना कर तो देख तेरी जीन्दगी ना सबर जाए तो कहना।
जय माता दी
जय सियाराम
सुंदर विचारों से युक्त उपयोगी रचना 👏👏
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
धन्यवाद बहन
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति