ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। घर-घर उच्छव छायो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
बंदरवाल सजे घर-घर, दवार-दवार, फूलो की महक लिए अगवानी कर ।
कामदेव तान लैई अपनी तान ,फूलन का धनुष, फूलन के ही बाण।
रत्ति नाच-नाच मन-मोह लेवे है, करी-करी नैयनन से वार।
धरती ने औंठी नई इंद्र धनुषी चुनर, करी लैई अपना रुप-ऋृंगार।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। घर-घर उच्छव छायो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
खिलने लगी बगिया,महक रही हर क्यारी -क्यारी।,
सज्जी-धज्जी धरती लगे नव-योवना प्रियसी प्यारी।
भांति-भांति फूल खिले महकने लगा जग-आँगन।
रंग-बिरगे पंछी चहचहाने लगे, डोलते डाली-डाली।
रंग-बिरंगी तितलियाँ अपने रुप-रंग से लगी मन को मोहने।
गुँजार करते भँवरो ने फूलो की क्यारियो पर अपना डेरा डाला।
मद-मस्त करती भीनी-भीनी सुगंध लिए पवन चलने लगी चहु-दिश सर्वत्र समाना।
ऐरी सखि ऋतुराज बसंत आयो री। घर-घर उच्छव छायो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
भांति-भांति रंगो की गुलाल हाथ लिए मुख लपटाए घुम रहे डगर-डगर।
ऐरी सखि उच्छव छायो री,घर-घर बाज रहाँ बधावा।
होन लगे है मंगलाचार, गीत गा-गा खुशियो मे झूम रहे नर अर नारी।
कामदेन ने अपने बाणो से बांध दिये जगतवासी।
अब साजन को प्यारी लगे है सजनी, सजनी साजन को लुभाए।
सजनी ने रुप- ऋृंगार किया बन जाये वह साजन की प्यारी।
कामदेव के बाण से मोह जाल मे फसने लगे धरतीवासी।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। घर-घर उच्छव छायो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
धरती भी नव-योवना बनी इठ्ठला रही औँठी चुनर धानी।
धरनी लगे है रुप-रानी, आठो याम राज रही अब खुशहाली।
मोर-पपिहे,बोले मृदु वाणी लगे मन-लुभावन मतवाली।
कोयल ने अपनी मिठ्ठी सुरिली बोली मिठास का है रस घोलो।
कोयल डाल-डाल पर डोल-डोल कर मिठ्ठे मधुर गीत सुनाती।
दौड लगाने लगी है मृग-शावको की टोली भोली-भाली।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। घर-घर उच्छव छायो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
ऐरी सखि ऋृतुराज बसंत आयो री। ऐरी सखि बसंत आयो री।
( साल भर मे चार प्रमुख ऋृतुए आती है,गर्मी,बर्षा,सर्दी,बसंत। बसंत ऋृतु को ऋृतुओ का राजा माना जाता है। इस लिए बसंत ऋृतु देवताओ की प्रिय ऋृतु है। बसंत ऋृतु मे कामदेव जागते है। कामदेव भगवान के सेवक ( आजकल जैसे बडे सरकारी आँफिसर होते है ) है। कामदेव भगवान की आज्ञा से ही उनकी इस सृष्टि की रचना करने मे अपना योगदान देते है। इसलिए काम देव और उनकी पत्नि रत्ति लोगो मे मोह उत्पन्न कर के उन्हे गृहस्थ को आगे बढाने के लिए प्रेरित करते है। जो साधक भगवान के मार्ग ( मोक्ष लाभार्थी ) पर चलने वाले उन्हे कामदेव को दूर से ही प्रणाम कर देना चाहिए।
जय कामदेव जय देवी रत्ति।
जय श्री राम
Itna sundar likh kaise lete hain aap? Aisi kavita ko to record kiya jana chahiye. Jis mein na koi video ho, na koi background music… bas ek awaz ho… madhur aur shant. Padhne mein itna aanand aa raha hai, sun’ne mein to aur bhi aanand aayega. Bahut khoob.
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धन्यवाद जी, कभी विडियो भी बना लेंगे जब सावरा सरकार चाहेंगे तब। वैसे पढने मे अधिक आनन्द है क्योकि जब हम पढते है तो मनन भी होता है और खुद की आवाज मे सुनने मे आनन्दानुभुति भी हो जाती है। पढने पर बार-बार पढने की रुचि होती है मगर विडियो एक बार देख सुन लिया तो बस डिब्बा बंद हो जाता है। दुबारा शायद ही कोई सुनता देखता है, पर लिखा बार-बार पढने का मन होता है।
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👌🏼👌🏼👌🏼😊
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धन्यवाद जी
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धन्यवाद, राम राम जी
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