
तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै। सृजन कर लू नई सष्टि मे खुबसुरत पल … पढ़ना जारी रखें तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै। सृजन कर लू नई सष्टि मे खुबसुरत पल … पढ़ना जारी रखें तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
हे मृगनैयनी कौन हो तुम,तुम कौन हो। तुम मौंन हो इसी लिए गौंण हो तुम सुन रहाँ है कौन तुम्हारा … पढ़ना जारी रखें हे मृगनैयनी कौन हो तुम ( काव्य रचना )
कौन हुँ मै हस्ति क्या है मेरी साँवरे जान ना पाये है। माट्टी का पुतला है, माट्टी मे ही मिल … पढ़ना जारी रखें कौन हुँ मै हस्ति क्या मेरी साँवरे— ( काव्य रचना )
कर ली बसर हमने जीन्दगी यूही हालात का फसाना बन कर। तमाम तमन्नाए सभी रह गई हकीकत बन कर। ब्यान … पढ़ना जारी रखें बसर कर ली जीन्दगी हमने (काव्य रचना )
हम दिल की बात करे, पर तुम आओ तो सरी। हम हालात बया तो करे, पर तुम आओ तो सरी। … पढ़ना जारी रखें तुम आओ तो सरी ( काव्य रचना )