
तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै। सृजन कर लू नई सष्टि मे खुबसुरत पल … पढ़ना जारी रखें तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै। सृजन कर लू नई सष्टि मे खुबसुरत पल … पढ़ना जारी रखें तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै
माई रे मेरे पीव ( प्रेमी-पति ) तो बसे है, परदेश कौन संग मै खेलु होली। अश्रु बहे नैयनन मे … पढ़ना जारी रखें माई रे कौन संग खेलु होली ( विरह गीत )
वो ( जीन्दगी ) चलाती गई और मै चलता गया।अस्तित्व क्या है मेरा, ये बता पायेगा कौन भला। उन से … पढ़ना जारी रखें वो चलाती गई और मै चलता गया ( काव्य रचना )
हे मृगनैयनी कौन हो तुम,तुम कौन हो। तुम मौंन हो इसी लिए गौंण हो तुम सुन रहाँ है कौन तुम्हारा … पढ़ना जारी रखें हे मृगनैयनी कौन हो तुम ( काव्य रचना )
माँ जैसा कोई नही देख ली दुनिया सारी पर माँ के बीना कोई अपना बना ही नही, माँ जैसा कोई … पढ़ना जारी रखें माँ जैसा कोई नही ( काव्य रचना )
कौन हुँ मै हस्ति क्या है मेरी साँवरे जान ना पाये है। माट्टी का पुतला है, माट्टी मे ही मिल … पढ़ना जारी रखें कौन हुँ मै हस्ति क्या मेरी साँवरे— ( काव्य रचना )
भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया की भीड से। लोग कहते है,हो तुम अकेले । हम भी मुस्कुरा देते है, कहाँ … पढ़ना जारी रखें भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही
मिट्टी मे दफन हिरा, कदर तेरी समझ पाया है कौन। दुनिया की बेरहम नजरो ने तुझे, पत्थर ही तो बतलाया … पढ़ना जारी रखें मिट्टी मे दफन हिरा कदर तेरी कौन समझ पाया ( काव्य रचना )
कर ली बसर हमने जीन्दगी यूही हालात का फसाना बन कर। तमाम तमन्नाए सभी रह गई हकीकत बन कर। ब्यान … पढ़ना जारी रखें बसर कर ली जीन्दगी हमने (काव्य रचना )
( बेटे की नजर मे माँ का अस्तित्व ) मेरी प्यारी माँ,तुम होती हो तो रोशन होती मेरी जीन्दगी, मेरी … पढ़ना जारी रखें मेरी प्यारी माँ ( काव्य रचना )