तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै

तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै।

सृजन कर लू नई सष्टि मे खुबसुरत पल भर लू मै।

समय की बढती तेज लय मे सपन संजो लू अनेक मै।

साकार होता सास्वत दृष्टि कोण कई रंगो से भर लू मै।

तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै।

मौन हुँ इन बेरुत विरान प्रस्तर खण्डो मे सरगम भर लू मै।

नुपुरो का स्वर स्वच्छंद सुर ताल मे झनकृत कर लू मै।

एक लुत्फ हशरतो का गुल्ले गुल्लिस्तान कर लू मै।

नवयोवना के श्रृंगारित चित्र पट्टिका मे कल्पना साकार कर लू मै।

स्वच्छंद विचरती विहडो मे सिंहनी सी दहाड मे कोमल स्वर भर लू मै।

तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै।

कपोल कल्पित सपन दृष्टा सी एक छवि मुखरित कर लू मै।

वेग से बहती सरिता की चपलता मे पावन तन-मन अपना कर लू मै।

मृग दृग कोर सी नयनो मे अविचल सपन दृष्टा वाणी भर लू मै।

साकार कल्पना मे अपनी नई उमंगो के रंगो की बौछार कर लू मै।

तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अदद जीन्दगी मै।

तुम चलो जो संग मे तो जी लू एक अद्द जीन्दगी मै।

जय श्री राम

http://चित्रा की कलम से

4 विचार “तुम चलो जो संग मे तो जी लू मै&rdquo पर;

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