मीराबाई

भारत के इतिहास मे बहुत से संत ज्ञानी हुए जिनकी ख्याति पुरी दुनिया मे फैली। ऐसे संतो की श्रैंणी मे एक नाम राजस्थान की प्रसिद्ध कवियत्री मीराबाई का भी है। मीराबाई जन-मानस की बोली मे अपनी काव्य रचना करती थी। ऐसी मान्यता है कि मीराबाई ने लिखित मे काव्य नही रचे उनके कई सालो के बाद कुछ गीतो को लिपिबंद्ध किया गया। यह पदावलियाँ मीराबाई की रचना है या बाद मे रची गई इसकी पुष्टि इतिहास मे नही है हा मीराबाई ने स्वयं अपने कर कमलो से इने नही लिखा। चलो मीराबाई की जीवनी की सैर करने चलते है।

मीराबाई रो बचपन ———-

मीराबाई रो जन्म मेडता रे महाराजा रत्नसिंह रे अठे हुयो हो। मीराबाई आपने दादा सा-दादी सा रे हाथा सु पलर बडी होई ही। एकर री बात है मीराबाई रा दादोसा मालवा री विजय प्राप्ति करता होया मेडता पुगया हा। मालवा मे मलेच्छा सु लडता मलेच्छा ने खदेडर देश सु भगार पाछे आपने मेडता पुगिया हा। उन दिना मीरा छोटी टाबर ही। मीराबाई आपने दादोसा ने घर पाछी आया देखर दौडती दादोसा रे कालजे सु लाग गई। दादोसा आपनी लाडेसर ने आपने हिबडे सु लिपटार बोलया आ म्हारी लाड-कुबर घणै दिना सु थारी याद आवती तो म्हारो मन बेचेन हो जावतो हो। पन अब तनै कालजे सु लगार मन ने शांति पड गी। उन टाईम मीराबाई 2-3 साल री ही होई ही।

आपनी तौतली बातो सु मीरा आपने दादोसा ने पुछयो के दादो सा थे कठे गया हा म्हाने आपरी घणी याद आवती ही। दादीसा मीरा ने कहयो कि बाई अब दादोसा ने थोडी घणी देर आराम करन दे। ऐ घणी दुर सु चालर आ रिया है। थकेलो आयोडो है, आराम कर लैवे पाछे तु घणी बाता कर लेई जै। पन मीरा दादोसा ने छोडन ने तैयार कौनी हो री ही। दादीसा समझाई देख लाड-कुबर दादोसा ने आराम कर लेन दे फैर दादोसा तने घणी कहानिया सुनावै ला। अब मीरा गोद सु नीचे उतर गी आपनी दादी सा रा हाथ पकड दादोसा रे महल सु बाहर आई। मीरा रे जाया पाछै दादोसा स्नान आदि कर पूजा करी कलेवो कर थोडी देर आराम करन लागया हा। घणी देर आराम करन रे बाद दादोसा आपनी लाडेसर लाड-कुबर मीरा ने आवाज लगाई तो मीरा दौडती-दौडती आपने दादोसा रे कनै आर बैठ गी। दादोसा दादीसा रे सागै बात कर रिहा हा।

दादीसा मीरा ने बोली देख लाड-कुबर दादोसा थारे खातर एक गुड्डो ल्याया हा। दादीसा वा गुड्डो दादोसा रे हाथ मे झल्लायो अब तो मीरा री आँख्या माई चमक दौड पडी वा झटसु दादोसा रे हाथ मे पकडयो डो गुड्डो पकड लियो हो। गुड्डो मीरा ने घणो पसंद आयो। वा गुड्डो लैर आपनी माँ सा ( माँ ) ने दिखावा खातर माँ सा रे महल री तरफ दौडती चली गी। माँ सा रे महला मे पुगर वा आपनी माँ सा ने वा गुड्डो दिखार बोली माँसा यो गुड्डो म्हारी खातर दादोसा ल्याया है। माँसा रे हाथ मे आपनो गुड्डो थमा दियो अर अब मीरा घणी खुश हौवा लागी। नाचती-नाचती माँ सा री गोंद मे चठ्ठर बोली देखो माँ सा म्हारो गुड्डो घणो ही फुटरो है।माँसा आपनी लाडेसर ने खुश होता देखर हामी भरदी हा बाई यो गुड्डो तो घणो ही फुटरो है। दादोसा घणा ही चाव सु ल्याया है, थारो यो गुड्डो।

मीरा फुली ना समारी ही जो बी बिने महल मे आवतो दिखतो भाजर वा आपनो गुड्डो ब्याने दिखा-दिखा नाचती जाबती ही। इन तरिया मीरा गुड्डे ने एक पल खातर भी आपने सु अलग कोनी हावन देवती ही। रात ने सोवा ने जावती बखत बी वा आपने गुड्डे ने सागे राखती ही। गुड्डे ने सागे लेर पाछै सोवती ही। अब तो मीरा ने दादोसा अर दादीसा री कहानियाँ मे उतना मन नई लागतो हो जितनो पैली लागतो हो बस दिन-रात आपने गुड्डे ने लैर पुरे महल माई घुमती रहवती ही। आप खावन बैठती तो पैली वा गुड्डे ने खिलावती। आप कठैई जावती गुड्डे ने सागे लेर जावती ही। मीरा री जान अब तो वा गुड्डो ही बनयोडो हो। दादो सा दादी सा, बाबा सा ( पिता ) माँ सा ( माँ ) सब उनरी प्यारी-प्यारी हरकता ने देख राजी हौवता रहवता हा।

एक समय री बात अब मीरा थोडी बडी हो गई ही 4-5 साल री तो एकर रात रे टाईम एक बारात महल रे सामने सु गुजर रही ही तो मीरा ने सागे लेर माँ सा व दादीसा आपनी दासियाँ सागै महल री छत पर बी बारात रा दर्शन करन गया हा। मीरा ने माँ सा आपनी गोंद मे लेर बारात देख रई ही। मीरा माँसा ने बोली माँसा यो कै हो रईयो है। माँसा बोली लाडेसर यो बारात है। फैर वा घोडे पर बैठेयोडो बींद ( दुल्हा ) देखयो अर फैर बोली माँसा वो कुन है। माँसा बोला या बींद है तो मीरा भोले-भाव सु पुछयो माँसा बींद कुन होवे है। माँसा कहयो जिन रो ब्यावह होवे उन ने बींद कहवे है। मीरा री माँ सा मीरा ने प्यार सु गौंदी उढार बोली एक दिन म्हारी लाड-कुबर रो बी ब्यावह हौवे लो उन दिन म्हारी लाड कुबर ने म्हे खुब सुन्दर सजावा ला।

इतनो सुनता ही बाल मीरा रे मन मे जीज्ञासा हुई, कि म्हारो ब्यावह हौवे लो तो वाँ माँ सा ने पुछयो माँ सा म्हारे ब्यावह किन रे सागे हौवे लो। माँ सा कहयो कि म्हे लाड-कुबर खातर एक सुन्दर सो बींद ल्यावा ला। उन रे सागे लाड-कुबर रो ब्यावह करवा देवाला। बालक मीरा बोली फैर माँ सा म्हारो बींद ( दुल्हा ) भी बारात लेर आवे ला। माँ सा बोली हा म्हारी लाड-कुबर रो बींद हाथी-घोडे पर चढर आवे लो, अर म्हारी कुबर ने ब्यावह कर ले जावे लो। बालक मीरा माँ सा री हर बात ने बडे ध्यान सु सुन री ही वाँ बोली फैर माँ सा म्हारो बींद कुन है। माँ सा ( मीरा री माँ ) अब मीरा री बात सुन सोच मे पड गी कै कैईया आपनी बाल लाडली ने बतावै के बींद गुन हौवे।

सोचता-सोचता माँ सा री नीजर मीरा रे हाथ मे पकडयो डे गुडे पर गी। माँ सा सोची बच्ची ने भुलावनो करन खातिर इन गुड्डे रो नाम ही लै लेवु सो माँ सा मीरा ने समझाया देख लाड-कुबर थायो बींद तो थारे सांगे हीज रहवे है। या थारो गुड्डो ही तो थारो बींद है। मीरा सोच मे पड गई अर माँ सा ने कहेयो माँ सा यो गुड्डो म्हारो बींद है। वाँ बाल मीरा घणी खुश हुई। आगले दिन चढता ही वाँ भागती-भागती दादोसा अर दादी सा रे कने पुग गई अर बठे जार दादोसा री गौंद मे बैठ गई। दादोसा उन ने लाड लडाई फैर मीरा दादोसा रे हाथ मे आपनो गुड्डो पकडार बोली दादोसा या देखो म्हारो बींद है। अब दादोसा अर दादी सा दोनु मीरा रे सामने हकावका होर देखन लागया। दादोसा मीरा रे मन राखन खातर कहयो वाँ बींद तो घणो सुनो है। वे पुछयो या बात थाने कुन बताई के या थारो बींद है।

मासुमियत सु मीरा बोली दादो सा, माँ सा म्हाने बताई के या थारो बींद है। दादोसा दास ने बुलार कहयो जाओ बींदनी ने बुलार ल्यावो कहिजो थाने माँ सा अर बाबो सा बुलावो भेजयो है। सुनता पगा ही आ जावो। मीरा री माँ सा सुनता ही माँ सा ( सास ) बाबो सा ( ससुर ) रे खनै पुग गी। उन दोनुयारे पगा माई धोक देर सर झुकार खडी हो गई अब बाबो सा बोलया बींदनी आप सा इन म्हारी लाड-कुबर ने यो के कह दियो के यो गुड्डो म्हारी लाडेसर रो बींद है। कै थाने म्हारे पर विश्वास नही हो कि म्हे लाड कुबर खातिर एक सुन्दर बींद नही ढुंढ सका हा। मीरा री माँ सा बाबो सा रे सामी माथो झुकवता बोली बाबो सा गलती हो गी पन म्हे तो इन ने मजाक मे कहेयो हो कि या इन रो बींद है। इन बच्ची ने समझावा खातर।

म्हाने यो ही मार्ग दिख्यो हो तो म्हे इन गुड्डे ने दुल्हो बतार लाडेसर ने चुप करावनी चाही ही। माँ सा अर बाबो सा मीरा री माँ सा री बात ने समझ गया वे हँसता होया बोलया तो या बात है फैर तो म्हारो जी सोरो हो गयो। म्हारी लाड कुबर री आँख सु आँशु नई निकलना चाहिजै। अब तो मीरा ने धणी मिल गयो आपने बींद ने सांगे लिया मीरा सारा दिन महल रे माई घुमती- फिरती रहे नाचे गावे गुड्डे ने हमेशाई मीरा आपने सांगे राखे। मीरा थोडी बडी होई तो विधी ने पता नई काई सुझी उन री माँ सा घणी बीमार हो गई एक दिन उनरी माँ सा हमेशा-हमेशा खातिर उन ने अकेलो छोड प्रभु रे धाम चली गई ( मृत्यु हो गई )। मीरा रोवे अर दादो सा दादी सा सबने पुछे दादोसा दादी सा म्हारी माँ सा कठे गई। वे आपनी लाड कुबर ने दुखी नी देख सकता हा।

इन रे खातिर वह कहे दिया लाड कुबर थारी माँ सा ईश्वर रे धाम गई। मीरा रोवे माँ सा म्हाने आपने सागे क्यू नी ले गई दादी सा मीरा ने गौंद मे लेर कही थारी माँ सा ईश्वर ने मिलन गई है। मीरा बोली माँ सा फैर कद लौटर पाछी आवेली माँ सा दादी सा कह यो वाँ ईश्वर री मरजी है। मीरा जा ईश्वर रे सामी बैठ बोली हे ईश्वर थे म्हारी माँ सा ने जल्दी वापस पुगा देवो। कहिजो कि थाने मीरा घणी याद करे है। मीरा री इन बाता ने देख दादी सा दादो सा अर मीरा रा बाबो सा सब बहुत रोया सब ईश्वर ने कही हे परमात्मा तु ही इन बच्ची ने हिम्मत दे म्हारे तो बस री बात कोनी। माँ सा रे जाया पाछी मीरा दादी सा रो पलो नी छोडती। हमेशया ही दादी सा रे लारे-लारे घुमती रहवती।

बाबो सा अर दादोसा ने विदेशी आक्रमण कारिया सु लौहो लेवा खातिर युद्ध करवा जावनो ही पडतो हो इन समया दादी सा ही उन मीरा ने देखभाल करती ही। एक समय री बात मीरा लगभग 9 साल री हो गई ही महल रे बाहर दो विदेशी मिनख आया हा उन दोनुआ दान-दक्षिणा खातिर आवाज लगाई तो मीरा रा दादोसा उन दोनो ने महल मे बुलावा भेजी। दास उन दोनुआ ने अंदर महल मे ले आ गयो हो। मीरा रा दादोसा उन दोनुआ सु उन री पहचान पुछी। उन दोनुआ ने राजा सा ने बताई के वे पेशावर सु आया है। राँव उन दोनुआ ने रहन अर भोजन-पानी री व्यवस्था महल मे कर दी। वे दोनु स्नान आदि सु निवृत होर भोजन करवा महल रे भोजन कक्ष मे पहुचया वे भोजन कर रिया हा अर मीरा आपनी दादी सा सांगे उन मेहमाना री आवभगत मे लागी हुई ही।

वे दोनु भोजन करन रे बाद आराम करन खातिर आपने कक्ष मे पुगया। कुछ देर आराम कर फैर वे महल मे घुमन ने निकल गया वापिस आया तो मीरा आपनी दादी सा सागे बैठी ही। या देखर वे दोनु बी बठे आर बैठ गया। आपस मे बातचित करवा लागया। उन दोनुआ ने मीरा के हाथ मे गुड्डो दिखयो वे पता नई मीरा ने कई-कई कहानी बनार सुनाई। वे उन गुड्डे ने आपने सामी राखत धोक देवा लागया अर कहवा लागया जय हो प्रभु। वे मीरा ने आपने पास बैठार बोलया यो गुड्डो नी है या तो म्हारा भगवान है-भगवान। मीरा चुप-चाप उन दोनुआ ने देखती री। वे आपनो नाटक करता रिया हा। वे बोल्यो हे भगवान आप म्हाने दर्शन दे दिया। आज सु म्हे आप री पूजा रोज करा ला। वे मीरा ने कहयो जा बेटा थोडा प्रसाद ले आ इन भगवान ने भुख लागी है अब या भोजन करनी चाहवे है।

मीरा खावन खातर दादी सा ने कहर मिठाई लाई तो वे दोनु उन गुड्डे रे सामने मिठाई राखर बोल्या हे भगवान आप भोग लगाओ आप म्हारे पर आपनी दया-दृष्टि करो। इतना मे मीरा रा दादोसा महल पुगया वे उन दोनुआ रे कने आया वे दोनु ब्राहमण मीरा ने कहानिया सुनावता या बात देखी वे भी बैठ गिया। दोनु ब्राहमणा ने कहयो थे यो के उल्टी-सिधी बातया बच्ची रे दिमाग मे भर रिया हो शर्म आवनी चाहिजे। थे धर्म रो मजाक बना आपनी पोटली मे मानक मणिया भरनी चावो हो। उन दोनुआ ने मीरा रा दादोसा झटकारी के थे ई वख्त म्हारा मेहमान नी होवता तो अठेई थे दोनुआ री गर्दन तलवार सु काट लेवतो। नीति म्हाने रोक ली नी तो थारे जिसा ढोंगी ब्राहमणा ने मै सजा देवता नी थकु। मीरा रे दादोसा री बात सुनता ही दोनु डर गया अर छम्मा मांगी।

दादोसा दोनुआ ने कहयो के अब कदे बी थे म्हारे राज मे नीजर आया तो थांकि गर्दन नही बचेली। अब तो जान बचती देख दोनु ढोंगी ब्राहमण बठे सु भागता ही दिख्या। मीरा रा दादोसा कहयो कि या विदेशी भी आपनी रंगत दिखवनी नही छोडे है। लालच मे डुबया ब्राहमण उनरी बनाई कहानिया भोली-भाली प्रजाने ने सुनार उनरो दिमाग खराब करे है। उन दिना तुर्क शासक,बाबर लोगा ने मुँह मांगो धन देर भारत भेजता हा कि वे भारत मे जार भोली-भोली प्रजा मे अंधविश्वास फैलावे क्यूकर वे भारत मे आपने धर्म रो प्रचार करवा चाहवता हो। कृष्ण लीला तो आज बी लोग माने है। यो कृष्ण ही नी कई मनगढंत कहानिया वे भारत पर आक्रमण कर अफगान, काबुल, लोगो मे प्रचार करी ही जिन रे खातर अँधविश्वास आपनी पकड मजबूत करतो रियोहो।

हिन्दमल, पेशावर आदि पर कब्जा करने मे लगायोडो हुओ। उन दिना विदेशी भारत पर बार-बार आक्रमण करता ही रहवता हा। उन विदेशिया अर मुंगल ( बाबर ) ने खदेडने री खातिर सभी रियास्ता एकजुट होर सामना करती ही। मीरा रे दादोसा-बाबो सा भी आये दिन युद्ध खातिर युद्ध भूमी माई जाया करता हा। मीरा रे दादो सा व बाबो सा राणा सांगा री टोली सागे युद्ध करवा खातिर जावता हा हा । भारत री कई छोटी बडी रियास्ता मिलर विदेशी आक्रमण कारिया सु लौहो लेर ब्याने भारत सु बाहर खदेडता हा। मीरा जद 17-18 साल री होई तो मीरा रा दादोसा मीरा रो ब्यावह चितौड रे महाराणा सांगा रे बडे बेटे भोजराज सु कर दियो। मीरा ब्यावह बाद आपने ससुराल चितौड रहवा लागी।

चितौड मे मीरा ने आपने ससुराल मे थोडो बहुत संघर्ष बी करनो पडो क्यूकर राणा सांगा री दुसरी पत्नियाँ आपस मे मन मुटाव राखती ही आपसी क्लह रे चालता पुरो रनिवासो क्लेश रे महौल्ल मे रहवतो हो। राणा ने अधिकांश समया युद्ध भूमी माई काटनो पडतो पिछे सु रनिवासे मे एक दुसरे सु तु-तु मै-मै करन रो मौको मिल जावतो। जिन सु महल मे तनाव बनयो ही रहवतो हो। मीरा ने राणा भोज ( पति ) अर राणा सांगा ( ससुर ) रो बडो सहारो हो जद ये दोनु महल मा रहवता तो मीरा ने क्लेश कम होवतो। राणा सांगा मीरा रे पक्ष मे रहवता क्यूकर मीरा रे दादोसा अर राणा सांगा मा खासी दोस्ती ही। इन खातिर राणा सांगा मीरा ने दुख रो सामनो नी करवा देवता हा। विधी ने मीरा री खुशी नही समाई मीरा 22-23 वर्ष ही होई ही के राणा सांगा युद्ध भूमी मे बुरी तरीया घायल हुया हा। जिन कारण उन री मृत्यु हो गई।

अब मीरा रो विधवा पन रो जीवन शुरु होयो। राणा भोज आपने जीवता बख्त मीरा खातर एक गढ ( मंदिर ) बनवा दियो हो। मीरा विधवा जीवन काटता समिया इन गढ माई ही आपनो समय गुजारती ही। अब मीरा महल मे कम ही रहवती ही। वह आपनी सखियाँ जो राणा भोज रे साथे शहीद हुआ सैनिका री विधवा ही वे अर मीरा उन मंदिर मे नाच-गार आपनो भक्तिमय जीवन बितावती ही।मीरा रा बाबोसा पहली ही एक युद्ध मे वीरगति पा गया हा। खानवा रे मैदान मे मीरा रा दादोसा अर मीरा रा बाबोसा ( ससुर राणा सांगा ) मुगल बाबर रे सागे युद्ध करी मुगला कने नई युद्ध पद्धति, तोप-गोला ही पन राणा कने तीर-भाला।

फैर बी राणा इतना ताकवर हा के तीर भाले सु ही बाबर री सैना ने खदेडता रिया हा। बाबर री सैना राणा री बहादुरी आगे घबरा गई पहली तो बाबर बी घबरायो पन वा हौंसलो नी खोयो मीरा रा लिखित मे कोई गीत-भजन नी मिल्या पन लोगा रे मुख सु मीरा रा भजन सुनन मे मिलता रियाहा। इतिहास रे पन्ना माई मीराबाई रो लिखित वर्णन होवे तो वा म्हे नही जाना हा। म्हे मीरा रे जीवन री अंधुरी कहानी ही जाना हा सो आपरे सामी राख दी। शायद सरकारी लाईब्रेरी माई मीरा री पुरी कहानी रो इतिहास मिल सके है। लोकगीता रे माए मीरा रे जीवन रो सार सुनन ने मिल जावे है उन रे हिसाब सु ही कुछ पता चाले है।

मीरा रो एक भजन—-मीरा गढ सु उतरी जी राणा जी पकडयो हाथ, हाथ थे म्हारो छोड दो राणा मुख सु कर ल्यौ बात।जहर पियालो राणा जी भेजयो दिज्यो मीरा रे हाथ कर चरणा मृत पी गई जी मुख सु निकल्यौ नाथ। नाग पिटारो राणा जी भेज्यो दिज्यौ मीरा रे हाथ मीरा गल मे डाल लेई बन गया नवलख हार। मीराबाई रे विरह वेदना रो वी भजन सुनर पतो लागे। शायद या भजन मीरा पति राणा भोज रे मरिया पाछै गावती होबेली——–माई री म्हारा पीव तो बसे परदेश कौन संग खेलु होली। महला मे तो धुम मच्योडी मै रही निपट अकेली माई री म्हे कौन संग खेलु होली। मीरा आपने विधवा जीवन मे ईश्वर री भक्ति मे ही रमी रही होबेली क्यूकर क्षत्रिय धर्म माई विधवा आपने सब सुख छोडर ईश्वर भक्ति करता ही बितावती ही।

विधवा ने सादो भोजन खावनो व्रत उपवास नियम राखना। ईश्वर रे माई मन लगावना सतसंग करना इन तरिया री सिख दी जावती ही। मीरा बी और दूजी लुगाईया री तरिया ही सारा हार श्रृंगार छोड दिया हा सादी सफेद साडी पहने ही सारा गहनो उतार कंढमाल ( भक्ति को जागृत करने वाली माला जैसे रुद्राक्ष,तुलसी,काष्ट या चांदी की माला ) पहन ली ही क्यूकर भारतीय लुगाईया विधवा होन रे बाद हार श्रृंगार नी करे सफेद कपडा पहरे इन सारु मीरा ने भी सफेद साडी पहरनी पडती गहना पहरना विधवा ने शोबा नी देवता इन सारु मीरा ने गहना पहरवा री अनुमति नी ही।। मीरा रे भजन मे बी इन रो वर्णन है —— तन का गहना म्हे सब कुछ दीन्हो म्हे तो दीन्यो बाजुबंद खोल। मीरा बाई कोई विशेष भक्ति नी करती ही वे तो वा ही धर्म निभावती जिनने हर विधवा ऩिभावे है। पन आजकल धर्मांधता फैलावन वाला लोग मीरा ने कृष्ण दीवानी दिखवाता फिरे है।

मीरा वृंदावन बी कदैई नई गई पन वृतांत बनायो जावे है कि मीरा वृंदावन मे रहवती ही सब मीरा रे नाम सु आपनी दुकानदारी करवा लाग्योडा है। मीरा राजस्थान सु बाहर नी गई ही। हा ईश्वर भक्ति करती रहवती हो सके क्यूकर विधवा ने ईश्वर रे माए मन रमावनो पडे। मान्याता है के विधवा लुगाई ईश्वर री भक्ति करे तो वा आपने पति रे लोक ( जिन लोक मे उनरो पति मरे पाछे जावे ) मे जा सके है। इन खातिर विधवा व्रत,नियम धर्म कर्म करता आपनी जीन्दगी बिता देवे है। उन समय एक कारण और हो कि विधवा ने दुवारा ब्यावह करवा री इजाजत नी ही सो कोई विधवा अगर बनाव-श्रृंगार मे रहवे तो उनरो मन चंचल हो सके वा मन रे विचलित होया पाछे दुसरे मिनखा मे आपने दिमाग ना लगावे इन खातिर बी विधवा ने आपनी सात्विक वृतिया बनान खातिर ईश्वर भक्ति मे ही रमवा री सिख दी जावती ही।

विधवा जीवन कठोर तप सु गुजार काटनो पडतो। इन वास्ते मीरा बी आपना विधवा जीवन शांति सु काटवा खातिर ईश्वर भक्ति करती रहवती होवेली। मीरा ही नी सारी क्षत्रिय लुगाईया इन तरिया रो ही जीवन काटती ही पन फर्क इतनो हो कि मीरा रे समीया विदेशी आपनी माया रचावा मे लागयोडा हा तो वे मीरा रो नाम आपनी माया रचान मे लगार देश री प्रजा ने लुभावता हा। मीरा 24-25 साल री ही मुश्किल सु होई होवेली की विधी आपनो रंग दिखान लागी मीरा आपने सुहाग ने खो दियो। मीरा भरी जवानी मे विधवा हो गई पन मीरा ही एकली नी ही और बी कई नारिया उन समया विधवा होई उन माई सभी लगभग मीरा री उमर रे आस-पास री ही होई होवेली।

राणा भोज युद्ध मे घायल होर मरया हा तो युद्ध मे बहुत सा सैनिक बी वीरगति पाई ही उन सैनिका री पत्नियाँ बी मीरा रे सागे ही विधवा होई ही। वे बी मीरा रे सागे रहवती अर मीरा री तरिया ही आपने पति लोक मे जावन री कामना करती ही। मीरा राठौड कुल माई पैदा होई ही राठौड कुल देवी नागनेचेजी री पूजा करिया करता हा। मीरा बचपन मे आपनी कुल देवी री पूजा करती ही। राणा भोज शिव भक्त हा अर कुल देवी री पूजा भी करता हा। मीरा अर राणा भोज दोनु मिलर भक्ति मार्ग पर चालता हा। राणा भोज कई बार मीरा रे मुख सु गीत-भजन सुनता हा।

मीरा पति भोजराज जी रे मरिया पाछे रो समो घणा ही खराब रयो आ बात केवल लोकगीता मे ही सुनन मे आवे इनरी कोई लिखित पुष्टि नी ससुराल मे भी ज्यादा कोई ऊँच-नीच घटना उनरे जीवन माई घटती नीजर नी आवे है। लोग-वाग आपनी मति सु या दुकनदारी चलावा वाले लोगा री बनाई कहानिया माई ही इन तरिया री बाता प्रचलित हुई ही। प्राचीनकाल मे विदेशी युद्ध मे हारे शासका री विधवा पत्निया ने भी उठवा लेवता हा। मीरा रो जीवन इन तरिया बुरा ही कटयो हावयो होलो हो। इन सु आगे काई नी कहवनो चाहे। मीरा रो पुरो परिवार रो लालची लोग साजीस कर कत्ल कर दियो जिनमे राणा सांगा, उनरी रानी ने धोखे सु मार दिया गयो हो। केवल उदयसिह ही बचयो हो। उदयसिंह मीरा रो सबसु छोटे देवर हो। पन म्हाने लागे उदयसिंह मीरा अर भोजराज री संतान हो सके। उदय अभी बालक ही हो अर बांकी देखभाल धाय माँ करती ही धाय माँ जुगत लगार उदयसिंह ने बचार एक सामंत रे महल मे ले गई। उदयसिंद बठे ही पल बडा होयो। इन तरिया लालची मिनख मीरा ने बी धोखे सु उठा ले गया अररर् शायद।

विशेष—— भक्ति केवल परमात्मा की करनी चाहिए व्यर्थ के माया जाल मे ना फस कर केवल परमात्मा। ना कोई कृष्ण ना कोई और बस प्राचीनकाल से यानि हजारो साल पहले जिनकी भक्ति करनी चाहिए आजकल जो शास्त्र है उन मे भी सच्चाई नही पुरी तरह से। शायद उस समय के संतो ने ऐसा इसी लिए ही कहाँ होगा कि कलयुग केवल नाम आधारा यानि 1100 सदी से ही विदेशी ताकते भक्ति के नाम पर ढोंग-पाखंड फैलाते रहे थे। ऐसी हालात मे क्या सही क्या गलत इन सब की बुद्धि हमारे पास नही वो इस लिए कि आज पुरातन धर्म की जानकारी किसी के पास नही इस तरह धर्म के नाम पर मिलावट हुई है। धर्म के नाम पर लोगो को अँधविश्वाय फैलाया जाता होगा तभी उस समय के संतो ने कहाँ कलयुग केवल नाम आधारा। यह कथन तुलसी दास जी ने भी कहे और जनहीत मे रामायण भी लिखी।

प्राचीन काल मे प्रकृति जैसे सूर्य अग्नि, पेड-पौधे ( पीपल, वड, तुलसी ) अपने परिवार के बडे जिन्हे पीतर नाम से सम्बोधित करते है पीतर यानि माता-पिता,परिवार के अन्य बडे दादा,दादी,नाना,दानी आदि इन सबका उचित सम्मान करे। छोटे को स्नेह दे बडो का आदर करे शिक्षको को आदर दे बस यही सच्चा धर्म है और अपने कर्तव्यो का ईमानदारी से निर्वहन करे, पाप कर्म ( जिससे किसी का अहीत हो ) ना करे। मीरा के दादोसा एक सुरवीर,भक्त आदर्श गुणो के धनी थे। जब कोई भरी जवानी मे वीधवा हो जाती है तो कई बार इंसान जोश मे गलतिया कर लेता है। इसके कारण पुरे परिवार को शर्मिदा होना पडता है। पर आजकल लोग समझदार हो गए है कि वह अपनी जवान बहु-बेटी जब विधवा हो जाती है तो दुसरा विवाह कर देते है। इस मे भलाई ही छिपी है क्योकि कई बार ऐसे मे बहक कर कुछ गलत कर बैठते है जिससे परिवार को बदनामी का डर होता है और मन गढंत कहानी बना कर अपने परिवार की ईज्जत बचाने का काम करना पडता है। इन सब को देखते समझते आ के समाज ने यह कदम उठाया कि विधवा जवान बहु-बेटी का पुनर्विवाह कर दिया जाए।

जय श्री राम

चित्रा की कलम से

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