वो चलाती गई और मै चलता गया ( काव्य रचना )

वो ( जीन्दगी ) चलाती गई और मै चलता गया।अस्तित्व क्या है मेरा, ये बता पायेगा कौन भला।

उन से ( दुनिया ) पुछा रोक कर मेने कौन हुँ मै। देखा उन्होंने गौंर से मुझे और बोले।

अभी तो हमने भी ना पहचाना कि कौन हुँ मै। भला तुम्हे कैसे फिर बतला पायेंगे हम।

वो चलाती गई और मै चलता गया। उनको नही मालुम सुन हुआ मै हैरान-कुछ परेशान।

अब मै और पुछु किससे कि अस्तित्व है क्या मेरा। रुक कर कुछ पल मौंन हो जाऊ शायद इसमे ही ढुंढ पाऊ।

कि अस्तित्व है क्या है मेरा, कौन हुँ मै बतलायेंगा ये कौन भला।वो चलाती गई और मै चलता गया।

वो चलाती गई और मै चलता गया। अस्तित्व क्या है मेरा ये बतलायेंगा कौन भला।

खामोशी बता रही है मुझ को कि मुझे भी नही पता। कि अस्तित्व है क्या तेरा भला,कि अस्तित्व है क्या तेरा भला।

सोच रहाँ हुँ किसने और क्यो बनाया राज कैसा रचाया है, भला जो सालो-साल समझ ना पाया कोई यहाँ।

मै अब और पुछु किस से यहाँ, कि अस्तित्व है क्या मेरा भला। बता ना पाया कोई यहाँ।

किसी को मालुम ही नही कि उनको क्यो है रचाया। वो चलाती गई और मै चलता गया।

जान ना पाया है कोई ये किस्सा। कि उनको ( दुनिया ) रचा क्यो है भला, सोच रहाँ हु।,

कि अब मै पुछु किसको भला। कौन हुँ मै और अस्तित्व क्या है मेरा भला।

वो चलाती गई और मै चलता गया।वो चलाती गई और मै चलता गया।

जान ना पाया कि अस्तित्व क्या है मेरा भला। वो चलाती चलाती रही और मै चलता रहाँ।

वो चलाती गई और मै चलता गया, बतलायेंगा अस्तित्व क्या है मेरा भला। वो चलाती रही मै चलता रहाँ।

विशेष तथ्य ——- यहाँ रचना के माध्यम से उनको या उन्हे जैसे शब्दो का प्रयोग दुनिया के लिए किया गया है। अस्तित्व क्या है मेरा के माध्यम से यह अहसास करवाने का प्रयास कि सभी प्राणी जन्म लेते है और अपने को खोजते रह जाते है कि आखिर यह दुनिया बन क्यो और हमारी रचना हुई क्यो। इस तरह के सवाल हर इंसान के मन मे कभी ना कभी जरुर उढते रहते है। पर इन सवालो का हल खोजने लोग भटकते संतो,पीरो,फकीरो के पिछे वे यह नही जानते की ये संत,पीर फकीर अगर यह राज जान जाते तो मारे-मारे दर-बदर क्यो भटकते। दर-बदर मत भटको अपनी पहचान खुद बनाओ तभी तुम उस विधाता को जान पाओंगे। दुनिया मे आये हो तो अपने भीतर छुपी जितनी भी योग्यता है उसे दुनिया के सामने लाओ तुम्हे तुम्हारे पैदा होने का वजूद खुद-बखुद मिल जाये। अपनी भीतरी क्षमता से खुदको और दुनिया को रोशन कर दो। ऐसा करो नेक कर्म कि दुनिया याद रखे सालो साल।

जय श्री राम

http://चित्रा की कलम से

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2 विचार “वो चलाती गई और मै चलता गया ( काव्य रचना )&rdquo पर;

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