अर्रर- शर्रर, अर्रर-शर्रर की गुँजार गुँज रही चहु दिश भारी है।
देखो खेल रहाँ होली बनवारी है, धुम-धमाल मचा महल-अट्टारी है।
भर-भर पिचकारी भीगो रहाँ सखियो की दामन- चोली बनवारी है।
आज ना छुटे कोई बाला, पकड-पकड कर हर एक को डोल रहाँ बनवारी है।
सखियाँ भी देखो कितनी मोहीत सी भाग-भाग कर बचने का कर रही अभिनय भर।
देखो सखियो दुर भाग चले आ रहाँ हाथ मे पिचकारी लिये बनवारी है।
अर्रर- शर्रर, अर्रर- शर्रर की गुँजार गुँज रही चहुँ दिश भारी है।
कोई हरा,कोई लाल,नारगी या नीला गुलाबी उडत अभीर गुलाल।
रह ना जाए किसी के दिल मे मलाल सोच रहाँ बनवारी है।
रंगो मे भीग रही चुनरियाँ, ओढनी, साडी सारी है।
रंग मत डार रे बनवारी शर्म ना आए तौहे, हम अबला बेचारी है।
अर्रर-शर्रर, अर्रर-शर्रर की गुँजार गुँज रही चहुँ दिश भारी है।
देखेगी मईया हमारी डपट लगाऐंगी।
रंग डारि तुम ने चोली चुनर हमारी सारी है।
सुन रे ओ बनवारी देवेंगी हम तुझको गारि।
तुमने भीगोई पचरंगी हमरी दुशाला भारी है।
अर्रर-शर्रर, अर्रर- शर्रर की गुँजार गुँज रही चहुँ दिशा मे भारी है।
मस्ति मे झूम रहे सब नर और नारी है।
होली का है धुम-धमाल, नाच रहे सब दे-दे ताली।
बज रहे चंग, डफ, ढोल,पखाबज, मंजीरे तो कही ताली है।
वीणा की तान छिडी हुई है, मधुर बज रही बासुरी की स्वर-लहरी है।
आज ना छुट्टे बाला कोई, भर-भर मारे पिचकारी बनवारी है।
रंग मे भीगो रहाँ हर एक गोपियन को मन-मस्त हुआ बनवारी है।
अर्रर-शर्रर, अर्रर-शर्रर की गुँजार गुँज रही चौपालो मे धुम-धाम भारी है।
भीग रही रंगो मे हर बाला मन मे कोई मलाल नही है, मन मे कोई मलाल नही।
भीग रही है हर बाला मन मे कोई मलाल नही है।
अर्रर-शर्रर,अर्रर-शर्रर की गुँजार गुँज रही चहुँ दिश भारी है।
भीगो रहाँ रंगो मे हर एक बाला को देखो बनवारी है।
दे-दे ताल नाच रहाँ गोपियन संग देखो बनवारी है।
अर्रर-शर्रर की गुँजार गुँज रही चहुँ दिश भारी है।
जय श्री कृष्ण
जय श्री राम