माई रे कौन संग खेलु होली, मेरे पिया तो बसे है परदेश।
माई कौन संग खेलु होली,पिया तज गए अकेली।
माणिक-मोती सब हम छोडे गल मे पहनी शेली।
भोजन भवन भला नई लागे।
पिया कारण भई रे गैली। मुझे क्यो देई दुरी।
पिया तज गए अकेली कौन संग खेलु होली।
माई रे कौन संग खेलु होली,पिया बसे परदेश।
अब तुम प्रीत औरु संग जोडी,हम से करी क्यो पहेली।
बहु दिन बिते अजहु नाई आयै, लग रही ताला वैली।
पिया तज गए अकेली कौन संग खेलु अकेली।
माई रे कौन संग खेलु होली,पिया बसे परदेश।
श्याम बिना जीअडो मुरझावे ज्यो जल विन मीन।
मीरा कू दर्शन दिजो,मै तो जन्म-जन्म की चेली।
दर्श बिना खडी दुहेली। मीरा तो तेरी चेरी।
पिया तज गए अकेली कौन संग खेलु होली।
माई रे कौन संग खेलु होली,पिया बसे परदेश।
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चित्रा मल्हौत्रा
मुझे भगवान की लीलाओ कथाओ को पढने लिखने मे रुचि है। भारतीय संस्कारो, रीति ,रिवाज परम्पराओ को समझना व उनको मानना मेरे जीवन का आधार स्तम्भ है। मुझे प्रकृति से बहुत लगाव है। प्रकृति ने जो हमे प्रदान किया है उन सुरम्य स्थलो का भ्रमण करना उन्हे जानना बेहद खुश गवारा लगता है। मै मानव धर्म मे विश्वास करती हुँ कि संसार के सभी प्राणी उस विधाता की देन है सब से प्रेम करना। सबको सुखी और खुश व तंदुरुस्त देखना चाहती हुँ। मेरी नजर मे कोई बुरा या भला नही होता। भले-बुरे तो इन्सान के कर्म होते है। भगवान के सभी रुपो को समझना उनके आदर्शो के अनुसार चलना पसंद है। मै यह चाहती हुँ कि मेने जो ज्ञान अर्जन किया है उसका दुसरो को भी लाभ मिल सके। इसी परोपकार की भावना से इस बेवसाईट का निर्माण किया है। मुझे भी नए-नए ज्ञान की जानकारी की जरुरत पडती है इसके लिए प्रयत्नशील रहती हुँ जब भी कही से कुछ ज्ञान मिल जाए उसे स्वीकार कर लेना पसंद है। जय श्री कृष्ण
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जय श्री कृष्ण,धन्यवाद जी
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जय श्री कृष्णा चित्रा
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