भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया की भीड से।
लोग कहते है,हो तुम अकेले ।
हम भी मुस्कुरा देते है, कहाँ है अकेलापन।
ये तो आपकी नजरो का ही है बेहम।
भला है,अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही।
ये फूलो की क्यारियाँ,कलरव करते पंछी।
गुँजार करते भँवरे,फूलो पर मंडराती रंगीन तितलियाँ।
भौर की नरम-ढण्डी हवा, तपती दोपहर की तपस।
रोशन करता सूर्ज,शितलता देती चंद्रमा की चटक चाँदनी।
भला है, मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही।
आँखो मे बनते-उलझते ख्वाबो के ताने-बाने,
ये सभी तो है अपने नही इनमे से कोई नही बेगाने।
फिर कैसे माने है हम अकेले,जब ये सब है अपने।
भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से।
विधाता ने बनाई नेयमत जब संग तो कैसे माने अकेले है हम।
ये सब अपने है संग तो वीराना है कहाँ।
भला है बनावटी दुनिया की भीड से ये हमारा अकेलापन।
भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही।
ये अपने हमे देते है सकून सदैव, नही करते प्रतिकार कभी।
देते सुखभरपुर ये सभी,नही रखते नफरत की आँखो मे आंग कभी।
भला है, हम अकेले पर वीराना नही।
मतलबी दुनिया मे मुखौटे लगाए फिरते सभी।
उतर जाता जब मुखौटा इनका कभी नजर आती चेहरो पर फरेब की चाल सभी।
भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही।
कैसे रहे, इन धुर्त बेईमानो मे कोई ।
इस मतलबी दुनिया की भीड मे जब है ही नही अपना कोई।
मतलब होता अपना बन जाते, जरुरते पुरी होते ही ये सब आँख दिखाते।
कैसे रहे, मतलबी भीड के बेगानो मे कोई।
भला है, अकेलापन मतलबी दुनिया मे बेगानो की भीड से कही।
Bahut khub likha hai aap ne…. 🙂
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धन्यवाद जी
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बहुत सुंदर 👌🏼
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धन्यवाद जी
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