मेरी प्यारी माँ ( काव्य रचना )

( बेटे की नजर मे माँ का अस्तित्व )

मेरी प्यारी माँ,तुम होती हो तो रोशन होती मेरी जीन्दगी, मेरी प्यारी माँ।

माँ तुम्हारे पैरो पर अपने नन्हे पाव रख कर चलना सिखा मेने।

वो बचपन मे गर्म तपती रेत पर नंगे पाव दौडना मेरा फिर दर्द से चिल्लाना मेरा।

झट छोड सब काम अपने दौड पडती थी तुम तभी, उठा लेती तभी मुझे अपनी ममता मई छाॅव मे।

अपने कोमल हाथो से मेरे पावो को सहलाती और अश्रु पोछती थी तभी।

मेरी प्यारी माँ तुम से होती है रोशन मेरी जीन्दगी।

जब डर जाता था बिल्ली को देख मै अपनी लडखडाती आवाज से पुकार लगाता तभी।

तुम दौड आती छोड अपने काम सभी लगा लेती अपने कलेजे से।

तुम्हारे आँचल मे बैठ शेर बन जाता तभी बिल्ली को भगाने का सहास जगाता तभी।

माँ के आँचल मे ममता की छाव दुख ना करीब आता कभी।

बचपन मे माँ तेरा आँचल पकड तेरे पिछे-पिछे चलना भाता था मुझे।

जब दुर होती हो तुम, दिल बेचेन सा घबराता तभी।

मेरी खुशी के लिए मनभावन भोग बना कर खिलाना याद आता है आज भी मुझे।

नही कोई होटल ऐसा जो बना सको भोजन तुम जैसा।

तुम्हारी हाथो से भोजन मे वो रस है जो कही और पाता नही कभी।

जाऊ कही भी पर तुझे यादो मे संग पाता हुँ माँ।

तेरी ममता की छाव मेरे सिर पर अपना आँचल रख दुख मे घबराता नही कभी।

माँ तेरा दिशा निर्देशन मे अपनी उलझनो को मिटाता सभी।

मेरी प्यारी माँ, तेरी ममतामयी छाव मे जीवन सार्थक हो जाता है।

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4 विचार “मेरी प्यारी माँ ( काव्य रचना )&rdquo पर;

  1. सुंदर भावपूर्ण रचना 👌🏼👌🏼माँ के लिए जितना कहें या लिखें उतना ही कम लगता है कर्यो कि माँ ही संसार का सबसे निस्वार्थ व सुंदर रिश्ता है 👍🙏🏼

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