मुझे छू कर गुजरने वाली ऐ हवा इतना तो बतला कि, किस साहिल पर है सनम का ठिकाना।
है वनो को घेरे रहने वाली लता-पत्ता, अपनी महक पहुचाना वहाॅ जहाॅ है सनम का ठिकाना।
हे उनमुक्त गगन मे कलरव करते खगा अपनी उडान भर कर पता लगाना कि,कहाॅ है सनम का ठिकाना।
हे सूरज की किरणो इतना विचरन करो घरती पर की बतला सको कहाॅ है सनम का ठिकाना।
मुझे छू कर गुजने वाली ऐ हवा इतना तो बतवा कि,किस साहिल पर है सनम का ठिकाना।
हे चंद्र-चटक चांदनी चारो तरफ फैल जाओ की पता लगा सको कहाॅ है सनम का ठिकाना।
हे गगन गामिनी ( पहाड ) तुम जरा झूक कर देखा शायद तुम्हे मिल जाये सनम का ठिकाना।
मुझे छू कर गुजरने वाली ऐ हवा इतना तो बतला कि, किस साहिल पर है सनम का ठिकाना।
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चित्रा मल्हौत्रा
मुझे भगवान की लीलाओ कथाओ को पढने लिखने मे रुचि है। भारतीय संस्कारो, रीति ,रिवाज परम्पराओ को समझना व उनको मानना मेरे जीवन का आधार स्तम्भ है। मुझे प्रकृति से बहुत लगाव है। प्रकृति ने जो हमे प्रदान किया है उन सुरम्य स्थलो का भ्रमण करना उन्हे जानना बेहद खुश गवारा लगता है। मै मानव धर्म मे विश्वास करती हुँ कि संसार के सभी प्राणी उस विधाता की देन है सब से प्रेम करना। सबको सुखी और खुश व तंदुरुस्त देखना चाहती हुँ। मेरी नजर मे कोई बुरा या भला नही होता। भले-बुरे तो इन्सान के कर्म होते है। भगवान के सभी रुपो को समझना उनके आदर्शो के अनुसार चलना पसंद है। मै यह चाहती हुँ कि मेने जो ज्ञान अर्जन किया है उसका दुसरो को भी लाभ मिल सके। इसी परोपकार की भावना से इस बेवसाईट का निर्माण किया है। मुझे भी नए-नए ज्ञान की जानकारी की जरुरत पडती है इसके लिए प्रयत्नशील रहती हुँ जब भी कही से कुछ ज्ञान मिल जाए उसे स्वीकार कर लेना पसंद है। जय श्री कृष्ण
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