गुम हुआ अक्श मेरा ना जाने कही।
ढुंडती हुँ हर लम्हे को चारो तरफ बिखराए।
खो जाती हुँ यादो के सुहाने पल-घटी मे।
शायद मिल जाये मेरा अक्श इन मे कही।
देखती हुँ खुली आँखो से ख्वाब कभी।
गुजरे वक्त के तानो बानो को बुनकर।
शायद मिल जाये मेरा अक्श इनमे कही।
खोजती हुँ हर कसक मे मिल जाए मेरा अक्श कही।
करहा उठता है मन क्यो व्यर्थ मे यादो मे उलझती हो।
शायद मिल जाए इनमे मेरा अक्श कही।
समुंद्र की उफनती लहरो सा ब्याकुल हुआ मन।
धीर गम्भीर नजरो मे तलाश लिए।
ढुंढती हुँ मिल जाए कही इन मे मेरा अक्श कही।
खो गया है ना जाने कहाँ मेरा अक्श कही
जय श्री राम
http://चित्रा की कलम से
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चित्रा मल्हौत्रा
मुझे भगवान की लीलाओ कथाओ को पढने लिखने मे रुचि है। भारतीय संस्कारो, रीति ,रिवाज परम्पराओ को समझना व उनको मानना मेरे जीवन का आधार स्तम्भ है। मुझे प्रकृति से बहुत लगाव है। प्रकृति ने जो हमे प्रदान किया है उन सुरम्य स्थलो का भ्रमण करना उन्हे जानना बेहद खुश गवारा लगता है। मै मानव धर्म मे विश्वास करती हुँ कि संसार के सभी प्राणी उस विधाता की देन है सब से प्रेम करना। सबको सुखी और खुश व तंदुरुस्त देखना चाहती हुँ। मेरी नजर मे कोई बुरा या भला नही होता। भले-बुरे तो इन्सान के कर्म होते है। भगवान के सभी रुपो को समझना उनके आदर्शो के अनुसार चलना पसंद है। मै यह चाहती हुँ कि मेने जो ज्ञान अर्जन किया है उसका दुसरो को भी लाभ मिल सके। इसी परोपकार की भावना से इस बेवसाईट का निर्माण किया है। मुझे भी नए-नए ज्ञान की जानकारी की जरुरत पडती है इसके लिए प्रयत्नशील रहती हुँ जब भी कही से कुछ ज्ञान मिल जाए उसे स्वीकार कर लेना पसंद है। जय श्री कृष्ण
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बहुत सुंदर 👌🏼
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धन्यवाद जी
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