आप रोज या समय के अभाव मे विषेश दिन पर मंदिर शिवलींग की पूजा करते ही है। शिवलींग पर जो वस्तुए अर्पित की जाती है वह सभी महत्वपूर्ण होती है। भांग,धतुरा,आक,आकफूल, दुध, चंदन,फूल,फल,बैलपत्र इतियाति शिवलींग पर चढाए जाते है। क्या आप जानते है, कि यह सब सामान शिवलींग पर चढाना महत्व रखता है। आपको ध्यान ही होगा कि शिव ने कालकूट का हलाहल विष कंठ मे धारण किया था उस विष के जहर से बचाव के लिए शिव भांग,धतुरा,बैलपत्र,आक आदि का प्रयोग करते है। हम भक्त भी उनको इसी लिए यह सब अर्पित करते है ताकि भोले बाबा ने हम प्राणी जगत को बचाने के लिए विष पिया तो इतना हमारा भी कर्तव्य है कि हम उनको जहर के दुष्प्रभाव से बचाव मे मदद कर सके।
आईए एक कथा कहानी की तरफ चलते है जिससे हमे पता चल जाएगा, कि बैलपत्र चढाने से शिव जी कितने प्रसन्न होते है। ठीक उसी तरह जैसे माता- पिता बीमार हो और पुत्र उनके लिए प्यार से दवा लाए और उन्हे पिलाए तो माता- पिता खुस होते है।
बैलपत्र चढाने वाला शिकारी को शिवकृपा मिलना ————-
एक बार एक शिकारी था वह जंगल मे जाता और रोज शिकार करके लाता फिर बाजार मे उस शिकार को बेच कर अपनी जरुरते पुरी करता। इसी तरह वह रोज अपने काम से जंगल से शिकार लाता। एक दिन शिकारी शिकार करने जंगल गया सुबह से शाम हो आई पर कोई शिकार उसके हाथ नही लगा। धिरे-धिरे दिन ढला रात हो गई शिकारी एक पेड पर चढ कर शिकार का इंतजार करने लगा। कुदरत का करिश्मा उस रात घनघौर काले बादल आए और बरसने लगे। शिकारी पे़ड पर चढ कर बैठ गया वह ठण्ड से काॅप रहाँ था। उसके कामपने से उस पेड की टहनियाँ हिलने लगी। उन टहनियो के हिलने से उस टहनी पर लगे पत्ते टुट कर हवा से विखरने लगे। कमाल कि बात तब हुई कि वहाँ एक भग्नावस्था मे एक मंदिर था। उस मंदिर की छत टुटी हुई थी। उस मंदिर मे एक शिवलींग था। जैसे वह शिकारी हिलता तो पेड के पत्ते टुट कर हवा मे बिखरते रहे।
हवा उन पत्तो को उडा कर उस शिवलींग पर गीराने लगी। अब उस शिवलींग पर धिरे-धिरे बैलपत्रो की ढेरी लगने लगी। इसी तरह वह शिवलींग बैलपत्रो से पुरी तरह से ढक गया। जब उस विरान जंगल मे शिवलींग पर वह बैलपत्र गिरे तो भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और वहाँ उस मंदिर मे प्रकट हो गए। उन्होने देखा कि शिवलींग पर बैलपत्र चढाने वाला वह शिकारी पेड पर बैठा है। शिव ने उस शिकारी को आवाज लगाई। शिव कहने लगे अरे भई कौन हो तुम पेड पर क्यो बैठे हो। अपने घर क्यो नही गए इतनी भारी बरसात हो रही है तुम बरसात मे भींग गए हो बीमार पड सकते हो। तब उस शिकारी ने शिव जी को देखा पर पहचान नही पाया क्योकि शिव जी बुढे ब्रहामण के रुप मे प्धारे थे। उस शिकारी ने कहाँ हा भारी बरसात हो रही है और मुझे ठण्ड भी बहुत लग रही है। इस ठण्ड की वजह से मेरा शरीर थर-थर काम रहाँ है लगता है मुझे बुखार हो गया है।
पर क्या करु घर मे मेरे बीबी बच्चे भुखे बैठे होंगे वह सब मेरे लौट आने का इंतजार कर रहे होंगे क्योकि आज सुबह से मै यहाँ बैठा हुँ, पर लगता है कि आज मेरी किश्मत बहुत खराब चल रही है। जो सुबह से रात हो गई पर कोई शिकार मुझे नही मिला। शिव जी उस शिकारी की बाते सुन कर हँस पडे। शिवजी ने कहाँ कहो मै तुम्हारी क्या सेवा करु। मेरे पास बहुत सारा धन है तुम चाहो तो वह मुझ से ले जाओ और अपने परिवार की भुख मिटाओ। शिकारी को लगा कि यह बाबा पगला गए है इसी लिए ऐसी बहकी-बहकी बाते कर रहे है। कहाँ यह बुठे बाबा इनके तो तन पर पुरे कपडे भी नही कहाँ से इतना धन देंगे। वह बोला आपका धन्यवाद बाबा आपने मेरा मन रखने के लिए इतनी बडी बात कह दी। शिव जी उस शिकारी के मन को पढ रहे थे और मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे थे। शिव जी बोले नही बालक ये लो मेरे पास एक पोटली है इसमे इतना धन है कि तुम सारी जीन्दगी बैठ कर खा सकते है।
उस शिकारी को लगा सब मजाक चल रहाँ है वह बोला क्या बाबा यह पोटली तो बहुत भारी नजर आ रही है इसमे पत्थर तो नही भरे हुए है। शिवजी ने मुस्कुराते हुए कहाँ तो तुम खुद इसे खोल कर देख लो बालक। शिकारी ने तुरंत उस पोटली को शिजी के हाथ से पकड लिया और उस पोटली को खोलने लगा। उसने पोटली को खोला तो हैरान रह गया। उस पोटली मे हीरे जवाहरात भरे पडे थे। उस पोटली को वापस बांध कर शिकारी शिवजी के चरणो मे गीर पडा और बोला आपने मुझ अभागे पर मेहवानी कर दी आप कौन है। तब शिवजी ने कहाँ मेने तुम पर नही बल्कि तुमने मुझ पर मेहरवानी करी है। मेरे इस मंदिर मे तुमने रात भर भक्ति करी है। मेरे इस वीरान खण्डहर पडे मंदिर मे बहुत समय से कोई नही आया किसी ने भी मेरी सार सम्भाल नही की है। मेरे इस विग्रह रुपी शिवलींग पर किसी ने एक बुंद पानी भी कभी नही टपकाया। तुमने सारी रात मेरे इस विग्रह रुप शिवलींग पर बैलपत्र चढा कर मुझे प्रसन्न कर दिया। इसी लिए मै तुम्हे आशिर्वाद देने स्वयं आया हुँ। आज के बाद तुम्हारे जीवन मे कोई कमी नही आएगी तुम्हारा जीवन खुशियो से भर जाएगा। जब तुम्हारा समय इस घरती से समाप्त हो जाएगा तब तुम्हे लेने मेरे गण आएगे फिर तुम मेरे लोक मे निवास करोगे। शिकारी ने शिवजी के चरणो मे दंडवत किया फिर शिवजी अंर्ध्यान हो गए और वह शिकार बहुत सारा धन पा खुशी से अपने घर लौट गया।
देखा आपने शिवलींग पर बैलपत्र चढाने पर शिवजी कितने प्रसन्न हुए कि वरदान दे दिया। इसी तरह भोले बाबा पर आप मन से जो भी अर्पण करते है। भोले बाबा उसको बहुत मान कर आप पर अपनी पुरी दया लुटा देते है। कहते है कि जो इंसान शिवलींग पर सवा लाख बैलपत्र एक-एक करके ऊँ नमः शिवाय के जाप के संग शिवलींग पर अर्पित करता है उसे शिव जी की कृपा मिलती है। एक शिवजी ही है सभी देवो मे से जो थोडी सी भक्ति मे मन से या अनजाने मे भी कर दो तो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है अपना सब कुछ भक्त पर न्यौछावर कर देते है। इसी लिए तो शिवजी को हम सब प्यार से भोले बाबा कहते है। देखा उस शिकारी के हाथो अनजाने मे हुई शिव भक्ति से शिवजी कितने प्रसन्न हुए कि धन तो दिया ही पर बहुत यत्न करने पर भी बडी मुश्किल से मिलने वाले अपने शिव लोक मे उसको स्थान दे दिया। बोलो हर-हर महादेव जय शिव सम्भु भोलेनाथ की।
जय श्री राम