राम राम जी आपका अभिन्नदन है
कहाँवत है कि जैसा खाओ अन्न वैसा बने मन। ठीक ही तो कहाँ गया है। शुद्ध सात्विक भोजन करने वाले के मन मे उद्वेग तमस,क्रोध डाह,आतंकी स्वभाव आदि दुर्गुण नही पाए जाते। सात्विक भोजन वह खाद्य पदार्थ जिनमे चमक हो,रसीले हो, मधुर रस ( मिठे ), खुशबुदार, रेशेदार बल ,बुद्दि को बढाने वाले जैसे ताजे फल, दुध,मिठाई, ताजा पौष्टिक भोजन, हरी सब्जिया,स्लाद आदि सात्विक भोजन का हिस्सा है । आईए इसी श्रृंखला मे एक कडी जोडते हुए सात्विक भोजन की एक नन्ही सी यात्रा के लिए प्रस्तान करते है। आज हम यविका क्षीर पाक का स्वाद व ताकत दोनो प्राप्त करते है।
यविका बनाने के लिए सामग्री ———-
यविका — एक प्याली ( कटोरी )
चीनी — एक प्याली
शुद्ध देशी धी – 5 चम्मच ( टी स्पून ) या कम भी डाले तो भी सही
दुध —— आधा लीटर ( कम ज्यादा जरुरत अनुसार )
छोटी व बडी इलाईची पाउडर- एक-एक इलाईची ( मन करे तो डाले ना भी डाले तो भी सही )
केशर ( ईच्छानुसार मन हो तो डाने नही भी डाले तो भी सही )
सूखे मेवे बादाम,पिस्ता,चिरौंजी ( मन करे तो डाले )
यविका बनाने की विधी ———-
यविका क्षीर पाक बनाने के लिए सबसे पहले हमे यविका को बना कर रखना होगा। यविका बनाने के लिए गैंहु का आटा, मैदा, मैदा-सूजी, चावल का आटा। इन मे से कोई भी सामग्री ले सकते है। पर आज मे आपको गैंहु के आटे से यविका बनाने की विधी बताने जा रही हुँ। एक बर्तन मे थोडा सा आटा लेते है। आटे को पानी से गूंथ लेवे। आटा गूँथने के समय ध्यान रखे की आटा रोटी बनाने वाले आटे की तरह ही गूँथना है, बस रोटी बनाने वाले आटे से थोडा नरम रखना है। इससे यविका बनाने मे आसानी रहती है। अब आटा गूँथ गया तो इसकी यविका बनाते है। यविका बनाने के लिए इस गूँथे हुए आटे को हथेली पर रखते हुए। इसमे से बिलकुल थोडा सा आटा यानि चिडिया के चुगने भर जितना आटा।
आटा अपनी अँगुली पर रखते हुए अँगुठे के माध्यम से मसलते हुए इसकी छोटी सी यविका बनानी है। यविका बना-बना कर किसी बडे बर्तन ( थाली ) मे या साफ धुले कपडे पर डालते जाए। इस तरह बट कर रखी यविका सुखती जाएंगी। जब सारे आटे से यविका बना लेवे तो इन यविका को एक कपडे के माध्यम से ढक कर रख लेवे। एक दिन इसी तरह रहने पर यह यविका पुरी सूख जाएंगी। इन सूखी यविका को एक डिब्बे मे भर कर रख लेवे। जब भी आपका मन यविका क्षीर पाक खाने का करे तो इस यविका क्षीर पाक को बना कर इसके स्वाद का आन्नद प्राप्त करे। यह देखने मे इंद्र जौ के समान लगती है दोनो किनारे पतले व बीच मे थोडी मोटी होती है । यविका आकार मे छोटी होती है। यह चावल से थोडी सी बडी होती है।
यविका क्षीर पाक बनाने की विधी ————
यविका क्षीर पाक बनाने के लिए सबसे पहले दुध को एक भगोने ( पतिले ) मे गर्म कर लेवे। दुध मे उबाला आने पर गैस धिमी कर लेवे फिर इसमे यविका डाल कर दुध को कढने रख लेवे। जैसे-जैसे दुध कढता जाएगा यह यविका पकने लगेगी। बीच-बीच मे इसे कलछी की मदद से हिलाते रहे। कुछ देर बाद देखे कि यविका पक गई या नही। एक यविका को निकाल कर अँगुठे की मदद से दबा कर देखे। जब यविका दबाते ही टुटने लगे ( फिस्स जाए ) तब यह पुरी तरह गल गई । इसमे चीनी डाले व घी डाले फिर कलछी से पकती यविका को हिलाते रहे। इसमे इलाईची पाउडर, केशर व सूखे मेवे डाल कर इसे गैस से उतार देवे। अब यह यविका खाने के लिए तैयार है। गर्म खाए या ठण्डा करके खाए कैसे भी खाए इसके स्वाद मे आन्नद ही आन्नद आने वाला है।
यविका बनाने मे सुविधा की दृष्टि से खास सुझाव ( टिप्स ) ————
यविका क्षीर पाक के लिए ताजी यविका भी यानि तुरंत की बनी हुई यविका उपयोग कर सकते है। अगर आपके पास समय नही यविका बनाने के लिए तो सरल उपाय जब भी आप टी. बी. देखने बैठे या खाली समय मे आराम करने बैठे तब दो तीन चम्मच आटा लेवे एक प्याली मे ही आटा गूँथ लेवे फिर इसे बनाने मे आसानी रहेगी। इस तरह फुर्सत मे भी आप इसको थोडी-थोडी रोज बटती रहे और इसे सूखा कर डिब्बे मे भर कर रखती जाए।
समय का सदुपयोग भी होगा और आराम भी हो जाएगा। यविका बनाते समय जब आटा सूखने लगे तो इसमे जरा सा पानी डाले और फिर इस पर पानी मे मसल लेवे तो सूखे आटे मे पुनः जान आ जाएगी और यविका आसानी से बनाई जा सकेगी। यविका बटते समय आटा हाथ मे चिपकने लगे तो सूखे आटा का पलेथन लगा लेवे हाथ पर भी सूखा आटा लगाती रहे इससे आसानी से यविका को बटा जा सकेगा।
जय श्री राम