राज रंजनी,विरह तरंगिनी कौन हो कौन हो तुम।
चटक चाँदनी की धवलता लिए, मन को उदिगन किये
मौन खडी हो कुमुदनी की डाल सी
राज रंजनी, विरह तरंगिनी कौन हो,कौन हो तुम
अलमस्त नयन कटार लिए सी
चपलता की मुर्त बन खडी हो श्रृंगार किये नवयोवना सी
राज रंजनी,विरह तरंगिनी कौन हो,कौन हो तुम
अपने कोमल कर पल्लवो मे रुप सार लिए
मन की उमंगो मे भरती तरग सी
सागर के तरह गहरी लहरो मे सिमडी कमल की पर्ण लिए
राज रंजनी,विरह तरंगिनी कौन हो कौन हो तुम
मेरी कविता मे कल्पना हो तुम।
लेखनी का सार हो तुम
भटकती एक विरहन प्रमिका सी
राज रंजनी, विरह तरंगिनी कौन हो कौन हो तुम।
अन छुई पहेली सी लगती हो तुम कभी सहेली सी
मन वीणा के तार मे झंकार लिए सी
अधरो पर मंद मुस्कान लिए सी
राज रंजनी,विरह तरगिनी कौन हो, कौन हो तुम
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चित्रा मल्हौत्रा
मुझे भगवान की लीलाओ कथाओ को पढने लिखने मे रुचि है। भारतीय संस्कारो, रीति ,रिवाज परम्पराओ को समझना व उनको मानना मेरे जीवन का आधार स्तम्भ है। मुझे प्रकृति से बहुत लगाव है। प्रकृति ने जो हमे प्रदान किया है उन सुरम्य स्थलो का भ्रमण करना उन्हे जानना बेहद खुश गवारा लगता है। मै मानव धर्म मे विश्वास करती हुँ कि संसार के सभी प्राणी उस विधाता की देन है सब से प्रेम करना। सबको सुखी और खुश व तंदुरुस्त देखना चाहती हुँ। मेरी नजर मे कोई बुरा या भला नही होता। भले-बुरे तो इन्सान के कर्म होते है। भगवान के सभी रुपो को समझना उनके आदर्शो के अनुसार चलना पसंद है। मै यह चाहती हुँ कि मेने जो ज्ञान अर्जन किया है उसका दुसरो को भी लाभ मिल सके। इसी परोपकार की भावना से इस बेवसाईट का निर्माण किया है। मुझे भी नए-नए ज्ञान की जानकारी की जरुरत पडती है इसके लिए प्रयत्नशील रहती हुँ जब भी कही से कुछ ज्ञान मिल जाए उसे स्वीकार कर लेना पसंद है। जय श्री कृष्ण
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अतिसुंदर
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धन्यवाद,आपका अभिनन्दन है
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कृपया मेरा ब्लोग भी विजिट करें, आशा है आप को पसंद आएगा
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जी जरुर
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Thank you so very much 🙂
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धन्यवाद जी
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अतिसुंदर
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धन्यवाद जी
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