दायरे ( सत्य घटना पर आधारित कहानी )

कुछ कहानिया ऐसी होती है जिनको पढ कर सुन कर हमे शतर्क रहने की सिख मिलती है। आज कल बहुत सी ऐसी घटनाए होती रहती है अचानक से सुनने को मिल जाता है कि,उसकी हत्या हो गई,उसने आत्म हत्या कर ली या उसने फाँसी लगा कर आत्म हत्या कर ली। बस इन्ही तथ्यो से प्ररित हो कर आज मै यह कहानी लिखने बैठी हुँ। कहानी का नाम है डायन प्यासी खुन की यह एक घटना ऐसी घटी कि मेरे मन ने उस घटना को ले कर कहानी बनना डाली। लिजिए लुत्फ इस घटना क्रम की कहानी का। इसके पात्रो के नाम काल्पनिक है।

दिल्ली मे पढने वाले शंशाक ने इंजिनियर की पढाई के लिए फार्म भरा किश्मत ने उसका साथ दिया और वह इंजनियरिग काॅलेज मे पढने लगा। पढने मे होनहार तो था मगर उसके दोस्ती ऐसे लडको से हो गई जो फिल्मी सकी उसके दोस्तो के संग पिल्मी कलाकारो पर चर्चा हुआ करती और शशांक को एग्टिंग का भी काफी शौंख था। वहाँ अपने स्कूल टाईम से है,स्कूल मे होने वाले प्रोग्राम मे भाग लेने लगा था। काॅलेज आते आते वह अच्छा अभिनय करने लगा था। उसके दोस्त उसके अभिनय को देख कर उसे फिल्मी जगत से जुडने के लिए कहते मगर शशांक के पिता इसके लिए सहमति नही देते थे उनकी तमन्ना थी कि शशांक इंजनियरिग करके अच्छी नौकर करे। शशांक की माँ का देहांत बहुत साल पहले हो गया था।

एक दिन उसके दोस्तो ने बताया कि टी.वी. सीरियल के लिए नये कलाकार की तलाश है। डाॅयरेक्टर सुधांशु को नए कलाकार की जरुरत है। वह एक नया सीरियल बनाने जा रहे है। सीरियल का नाम रिस्ते है। अब तो शशांक ने फार्म भर दिया और वहाँ सीरियल के लिए चुन लिया गया। सीरियल अच्छा चल निकला। उसकी टी.आर.पी. बढने लगी। इस कारण अब शशांक प्रसिद्ध हो गया। उसी दोरान उसकी मित्रता सीरियल नायिका अनसिका से हो गई और यह मित्रता शादी मे बदल गई। वह सीरियल भी खत्म हो गया। अब अनसिका ने शशांक के कहने पर सीरियल मे काम करना बंद कर दिया। अनसिका अब घर मे ही रहती। वह गृहस्थी मे व्यस्त हो गई।

इधर शशांक कई सीरियल करता रहाँ। एक दिन उसे बोलीबुड से फिल्म मे लीड रोल के लिए आफर आया तो वह बहुत खुश हुआ। उसने घर पहुच कर अनसिका को इसकी खबर सुनाई तो वह भी खुश हुई। शशांक फिल्मो मे काम करते -करते अनसिका से दुर निकल गया। उसके जीवन मे कई हीरोईनो से उठना बैठना हुआ।इस लिए शशांक ने अनसिका पर ध्यान देना बंद कर दिया। अब अनसिका को शशांक के रोमांस की खबर होने लगी। इस बात को लेकर अनसिका बहुत दुखी रहने लगी और आखिर मे दोनो ने तलाक ले लिया। दोनो के प्यार का अंत हुआ। अब शशांक पहले से भी ज्यादा फिल्मी लाईफ मे खो गया।

इसी दौरान एक लडकी रिमा जो होरोईन बन कर ऊँचा उडना चाहती थी,वह शशांक से प्यार का नाटक खेलने लगी। शशांक उस के नाटक के मायाजाल मे फसता चला गया। जिस तरह से एक मक्डी जाल बुनती है, और उसमे आने वाले कीट को खा जाती है। बस इसी तरह से रिमा ने शशांक को अपने मोहजाल मे फाँस लिया था। अब शशांक व रिमा एक साथ रहने लगे बिना विवाह किये रिस्ते मे बंध गए। धिरे- धिरे दिन बितते गए। अब शशांक पुरी तरह रिमा की मुठी मे था। वह जो कहती सब शशांक करता। रिमा ने फिल्मी जगत के कई लोगो को अपने जाल मे फसा लिया था। रिमा धन और हैसियत के लिए कुछ भी कर सकती थी। इधर रिमा का एक बाए फ्रैंड और था उसके बारे मे रिमा ने किसी को भनक तक नही लगने दी।

उस बाए फ्रैंड को दोस्त के रुप मे रिमा ने शशांक से मिलवाया। अब उसका बाए फ्रैंड शशांक के बहुत करीब आ गया। शशांक उसके मन की सभी बाते बताने लगा। शशांक रिमा और उसके बाए फ्रैंड से सभी बात शेयर करता। उधर रिमा फिल्म जगत मे अपनी जगह बनाती जा रही थी उसने ऐसी चाल चली की कई लोगो की फोटो व मुवी अपने संग बना ली थी। इस तरह शशांक के अतिरिक्त दुसरे भी थे, जिनको रिमा ने फसाया था। अपनी पेंठ बना कर रिमा ने शशांक के धन को हडप कर उसे अपने मार्ग से हटाने के लिए अपने बाए फ्रैंड के संग मिल कर एक गुप्त योजना बनाई। रिमा शशांक को उसके खाने पिने की वस्तुओ मे नशे की दवा मिलाने लगी। इसके कारण शशांक नशे मे रहने लगा उसे लगता कि उसे कोई बुला रहाँ है।

इस तरह उसे बहुत सी अनजान आवाजे सुनाई देती। रिमा ने शशांक को कहाँ कि तुम बहुत बिमार हो गए हो। मेरी एक फ्रैंड ने मुझे बताया कि इस तरह की हालत तब होती है, जब कोई डिप्रेशन मे चला जाता है। इस लिए आज मेने एक मनोचिकित्सक से समय लिया है। शशांक रिमा के साथ डाँ के पास गया। उस डाँ ने शशांक को मनोरोगी घोषित कर दिया और कुछ दवाईयाँ लिख दी। जो दवाईयाँ उस डाँ ने ळिख कर दी वह ड्रगस थी यानि इंसान के दिमाग को सुन कर देने वाली। इस दवाई को लेकर वह बस अपने होश मे नही रहता उसे जब वह दवाई नही मिलती तो उसका शरीर कामपने लगता। इधर रिमा ने शशांक से यह कह रखा था कि वह अपनी बिमारी की चर्चा किसी से ना करे नही तो उसका केरियर चौपड हो जाएगा।

अब शशांक के बुरे दिन शुरु हुए एक तरफ नशा उसकी जान पर हावी हो रहाँ था इसके चलते शरीर सही से काम नही करता और दुसरी तरफ उसकी सारी फिल्मे उससे छिन ली गई उसे बेकार घोषित करने लगे। इधर रिमा ने नशा की हालत मे उससे उसकी सारी जमा पूंजी पर साईन करवा लिये। शशांक नशे मे था उसको पता ही नही चला कि, उन कागजो पर क्या लिखा है। बस रिमा ने पेन पकडाया और बिना पढे शशांक ने उस पर साईन कर दिये। रिमा ने डोनेशन के फर्जी कागजो पर साईन करवाया था। शशांक की मनेजर को जब इसका पता चला तो उसने कहाँ कि वह शशांक सर से बात करेगी इसके लिए। अब शशांक की वह महिला मनेजर रिमा के रास्ते का कांटा बन गई थी।

रिमा ने पहले तो उस पर झूठे आरोप लगा दिये और शशांक को उसे नौकरी से निकालने के आदेश दिये। शशांक ने बिना सोचे मनेजर को नौकरी से निकाल दिया। फिर मौका मिलते ही रिमा ने शशांक की निकाली गई महिला मनेजर को छत से धक्का देकर मार डाला और खबर फैलाई कि वह कूद कर आत्म हत्या कर गई। अब उसका राज कोई नही जानता था। अब शशांक ने नई मनेजर को रख लिया। यह नई मनेजर को रिमा ने रखवाया। अब रिमा को उन कागजो के लिए रुपये मिलना आसान हो गया क्योकि वह नई मनेजर उसके मित्र मंडली का था। शशांक का सारा धन रिमा व उसके बाए फ्रैंड के हाथ मे आ गया। अब रिमा और उसके बाए फ्रैंड ने योजना बनाई कि शशांक को खत्म करना है, नही तो पकडे जाने का डर था।

इधर शशांक अपने परिवार वालो से अपनी रिमा के साथ शादी की बात बता चुका था। उसने अपने परिवार वालो को फोन पर कहाँ कि, वह बहुत जल्दी खुशखबरी देने वाला है। वह दीपावली के बाद रिमा से शादी करेगा। रिमा ने धन मिलते ही बहाने से शशांक से लडाई करना शुरु कर दिया। जो रिमा शशांक के आगे पिछे होती थी वह आज उसे नालाक कह रही थी उसे पता नही कैसे- कैसे तरीके से जलील कर रही थी। शशांक पुरी तरह से टुट गया था। रिमा ने लडाई की आड मे शशांक का घर छोड दिया। अब शशांक बिना किसी कसूर के भी खुद को गुनहगार समझ रहाँ था। इस लिए वह रिमा से फोन पर फोन करके माफी मांगने लगा और उसे लौट आने को कहने लगा।

रिमा ने अपने फोन को आफ करके छोड दिया दुसरे फोन का प्रयोग करने लगी। अब शशांक का रिमा से सम्पर्क नही हो पा रहाँ था। बस एक रात रिमा का बाए फ्रैंड मुँह पर मास्क लगाकर उसके घर मे आया। शशांक के घर के सभी सी.सी.टीवी कैमरे बंद कर दिये और धिरे से उसके कमरे मे घुस गया जहाँ शशांक सो रहाँ था। उस कमरे मे रिमा के बाए फ्रैंड ने प्रवेश करके शशांक को मारने की योजना के तहत गया। शशांक अभी पुरी तरह से सो नही पाया था क्योकि उसे वह नशिली दवाई नही मिल पाई थी।

पर शरीर बहुत कमजोर हो गया था। शशांक को लगा कि कमरे मे कुछ खडका हुआ है वह उठ कर कमरे मे लाईट जगा कर देखने लगा तभी धिरे से रिमा का बाए फ्रैंड उस के पिछे पहुच गया, और उसको धक्का देकर वहाँ पडे सामान पर गिरा दिया कमजोरी की वजह से शशांक उस धक्के को सह नही पाया और वह गिर गया। तभी जल्दी से उस बाए फ्रैंड ने शशांक की गर्दन को दबोच लिया था शशांक बचाव की कोशिश करके भी हिल नही पा रहाँ था। उस लडके ने उसे इतनी तेजी से गले को दबाया था कि शशांक की श्वास रुक गई, और वह वही ठेर हो गया। योजना के अनुसार रिमा का आधा काम हो गया था।

अब रिमा और उस का बाए फ्रैंड इस जुर्म मे फस ना जाए। इस लिए उसने एक कपडा लिया हाथ मे उसके दस्ताने थे। कपडे का फंदा बनाया और शशांक की लाश को उस फंदे से पंखे पर लटका दिया, और फरार हो गया। अगले दिन सुबह बहाने से वह वहाँ पहुचा और बंद दरबाजे को तौड कर अंदर आया अपने संग कुछ और दोस्त लाया ताकि वह फसे ना। पुलिस को फोन किया कि शशांक ने फाँसी लगा कर आत्म हत्या कर ली है। इधर शशांक का नौकर बीक गया था। इस लिए वह रिमा की तरफ से साथ दे रहाँ था। शशांक के पालतु कुते को रात मे ही नौकर ने कही छुपा दिया था ताकि किसी को पता ना चल सके कि घर मे कुछ हो रहाँ है। कोई आया है। सब योजनाबद्ध किया गया था।

डाँ टिम ने जांच की उसमे दम घुटने से मृत्यु सामने आई तो किसी को पता ही नही चल सका की यह फाँसी नही गला दबा कर की गई हत्या है। पुलिस जांच पर आई तो सबूत कुछ कहना चाहते थे मगर कुछ दबाव की वजह से पुलिस अपनी पुरी कारबाई चाह कर भी नही कर पाई। बस आत्म- हत्या घोषित कर दी गई केश खत्म। अब शशांक का सारा धन रिमा व उसके बाए फ्रैंड के पास था। रिमा ने फिल्मी दुनिया मे बहुत से लोगो को फसाया था। इसके चलते कोई चाह कर भी बोल नही पाया था। इस तरह शशांक को इंसाफ नही मिला। पर इस तरह के शातिराना लोगो के हौंसले बढ गए थे। अब रिमा अपने नए शिकार की तलाश मे निकल पडी थी। देखते है रिमा का नया शिकार कब? और कौन है? सस्पेनश

अरे भई कहानी खत्म हो गई जाईए अपने घर। हा-हा-हा ये जीवन चक्र यू ही चलता रहता है। कोई आता है। कोई चला जाता है, पर जीवन चक्र कभी रुकता नही। किसी के आने या जाने से। यह संसार एक रंगमंच है जहाँ नित्य निरंतर नई कहानियाँ घटती रहती है,काल का पेट कभी भरता नही है। कभी सुनी सुनाई सी तो कभी अनसुनी कहानियाँ घटती रहती है। हम सब इस रंगमंच के कलाकार है। अपने-अपने हिस्से का किरदार निभाते है, और कहानी के अंत मे लौट जाते है। अगली नई कहानी मे अपना किरदार निभाने के लिए।

दुनिया का मेला, मेले मे लडकी, लडकी अकेली शन्नो, नाम उसका ओ शन्नो नाम उसका।

ओ बाबू समझे क्या अनाडी है कोई खिलाडी है कोई, ओ मिस्टर समझे क्या अनाडी है कोई खिलाडी है कोई।

जय श्री राम जी की

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