शरीर को बनाए रोगाणुओ से बचाव की क्षमता वाला

हम अपने दुश्मन खुद बन गए कि कुदरत ने हमे जो शारिरीक क्षमता दी उसे अपने आप खत्म करने मे लगे है। इसके लिए कुदरत को या किसी अन्य को दोष देना फिजूल है। आईए जानते है कि हम कैसे अपनी शारिरीक क्षमता यानि रोग-प्रतिरोधक क्षमता। रोग प्रतिरोधक क्षमता हमे रोगाणुओ,विषाणुओ से खुद को बचाए रखने के लिए हमे कुदरत ने दी है। हमारा शरीर जैसा कि आप सब जानते ही हो कि पंच-तत्व से बना है ( अग्नि,वायु,जल, पृथ्वी, आकाश ) और रोग-प्रतिरोधक क्षमता इन पंच-तत्वो के विघटन को रोकने और इन पंच-तत्वो को संतुलित रखने के लिए जरुरी होती है।

( 1 ) सुबह लेट उठना और रात मे देर तक जगना सेहत के लिए हानिकारक होता है। इस तरह सूरज उगने के बाद भी सोते रहने से और आधी रात तक या पुरी रात-भर जागते रहने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है इस लिए शरीर धिरे-धिरे बिमारी की तरफ बढने लगता है। हमे जाने-अनजाने कई बिमारिया लगने लगती है या बिमारियाँ लगने की समभावना बन जाती है। हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली जाती है। इसके लिए कुदरती मिली रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है फिर बिमारी से बचाव के लिए हमे रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढाना वाले भोजन व कार्य करने पडते है जैसे योगासन करके, इमयूनिटी बढाने वाले पदार्थ खाने पडते है या इम्यून बढाने वाली दवाईयो का सेवन करना पडता है।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी बढाने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले जाग जाए और रात को जल्दी सो जाए रात मे जागना भी पडे जैसे पढाई करने के लिए तो भी रात को 12 बजे से पहले सोने की आदत रखनी चाहिए। आधुनिक समय मे अत्यधिक कार्य होते है इस लिए 11-12 के बिच तक सो ही जाने मे भलाई रहती है। जब हम सूर्योदय तक उठ जाते है तो हम सूर्य से मिलने वाली ताकवर किरणो को ग्रहण कर सकते है यह किरणे यानि सूर्य का सुबह का प्रकाश हमारे शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बठाने का काम करती है। रात के समय वायु का प्रभाव अधिक हो जाता है खास कर रात 12 बजे के बाद का समय वायुु का प्रभाव अधिक होता है और वायु का काम सुखाना होता है। इस लिए रात को अधिक देर तक जागने पर शरीर मे वायु-वात का प्रकोप बनने लगता है। शरीर कमजोर होने लगता है और रोगो व रोगाणुओ से लडने की क्षमता कम होने लगती है।

( 2 ) भोजन करने का अनुचित समय यानि आजकल लोग भोजन को सही समय पर नही करते जिसके कारण शरीर मे कमजोरी आने लगती है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विघटन होने लगता है। सुबह उठने के बाद तुरंत खाने पिने लगना खास कर आजकल चलन मे है कि बहुत से लोग नीद खुली और बैठ गए चाय पिने। सुबह जब हम सो कर जागते है तो हमारी आँते कमजोर स्थिति ( नरम ) मे होती है। ऐसी हालत मे हम उससे काम लेने लगते है यानि भोजन का पाचन करना यह स्थिति आँतो को कमजोर करने का काम करने करते है। सुबह उठने के कम से कम दो घण्टे बाद कुछ खाना-पिना चाहिए या फिर कुछ खाए बिना रहना मुश्किल हो तो एक डेड घण्टे के बाद ही कुछ खाये-पिये वरना धिरे-धिरे आँते कमजोर होती चली जाएगी और फिर यह होगा कि आपकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाएगी आप रोगो से लडने मे सक्षम नही हो पाएगे।

भोजन सुबह का चाय नास्ता करना हो तो उठने के एक-दो घण्टे बाद करे मान लो आप सुबह 6-7 बजे उठते है तो 8-9 बजे तक नास्ता करे। दोपहर का भोजन लंच भी इसी तरह से दोपहर के 12 बजे के बाद ही करे। दोपहर का भोजन दोपहरी ( लंच ) 12 से 2 के बिच कर लेना सही रहता है क्योकि दोपहरी ( लंच ) मे हम पेट-भर भोजन करते है और दोपहर 12 से 2 के बिच सूर्य का ताप घरती पर अधिक होता है जिससे शरीर मे अग्नि जो भोजन को पचाने का काम करती है। शरीर की यह अग्नि इसे ऊष्मा कहते है सही तरीके से काम करती है आपका खाया भोजन सही से पच जाता है। इस तरह सही से पचे भोजन से रस बनता है। भोजन पाचन से बने रस से शरीर को शक्ति मिलती है शरीर सही से काम कर सकता है और रोगाणुओ से सुरक्षित भी रख सकता है। इसी तरह रात को सूरज ढलने के दो घण्टे तक भोजन ( डीनर ) कर लेना चाहिए क्योकि कि इस समय तक तो शरीर को सूर्य की ऊष्मा भरपुर मिल जाती है पुरे दिन की तपती घरती से और भोजन सही से पच जाता है। मगर रात को देर से भोजन करने पर भोजन सही से पचता नही और रात मे वायु का बल बठने से यह भोजन आँतो मे जमा होने लगता है और वायु के प्रभाव से आँतो मे ही भोजन पडा सुखने लगता है यह स्थिति आपको कब्ज का शिकार बना देती है, पेट मे गैस व तेजाब ( ऐसिडिटी ) बनने लगता है और बढते-बढते आपको आम-वात रोग भी हो सकता है जिससे हड्डियो मे बिकार होने लगता है। जोडो मे दर्द रहना, आँखे कमजोर होना,कब्ज, मंदाग्नि ( भोजन को पचाने की क्षमता कमजोर होना ) सुगर, हाई ब्लेड-प्रेशर आदि कई जन चाही बिमारिया घेर लेती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। हो सके रात 7-8 बजे तक भोजन कर लेवे रात 10 बजे के बाद कुछ खाने से बचे जरुरी हो तो देर रात को दुध पी लेवे, फल खा लेवे पर भोजन ना करे।

( 3 ) अत्यधिक काम वासना भी शरीर मे रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है। इस लिए काम-वासना से खुद को दूर रखे। स्वस्थ आदते बनाए अच्छी सोच रखे इसके लिए खुद को सदकार्यो मे खुद को व्यस्त रखना लाभदायक रहता है। खाली दिमाग शैतान का घर इस लिए सदैव नेक कार्यो को करते रहे खुद को व्यस्त रखे खाली ना रहे।

( 4 ) भोजन मे विशेष पदार्थो के सेवन और जडी-बुटियो के सेवन से हम अपने शरीर मे रोग प्रति-रोधक क्षमता को सुरक्षित रख सकते है।

( 5 ) खुद के दवारा कार्यो को करके भी हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को सुरक्षित रख सकते है। इसके लिए जितना हो सके खुद के सभी काम स्वयम करने चाहिए किसी दूसरो पर निरभर नही रहना चाहिए।

( 6 ) भरपुर आराम ले कर भी हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुरक्षित रख सकते है। इसके लिए हमे पुरी नींद लेनी चाहिए। जब हमारा शरीर थक जाये तो हमे सभी काम छोड कर कुछ समय आराम कर लेना चाहिए। अत्यधिक कार्यो को करने के चक्कर मे हम आराम लेना भुल जाते है हमारी भागती-दौडती जीन्दगी मे हमे आराम लेने की फुर्स्त ही नही मिल पाती कि हम कुछ समय आराम कर लेवे। हमे अपने आराम के बारे मे भी ख्याल रखना चाहिए। शरीर की क्षमता से अधिक किया कार्य हमे शारिरीक व मान्सिक रुप से थकान उतपन्न करते है ऐसे मे आराम ना किया जाए तो हम शारिरीक तौर पर और मान्सिक तौर पर अस्वस्थ हो जाएगे।

( 7 ) मनोरंज का साधन भी उपयोग मे लेना चाहिए-जैसे टेलीविजन देखना,खेलना, कुछ रोचक पढना या अपनी रुचीकर कार्य कर के मान्सिक थकान दूर करके खुश रह सकते है। सदैव हँसते मुस्कुराते रहना चाहिए। अनावश्यक मान्सिक तनाव से दूर रहना चाहिए। चिन्ता से दूर रहना चाहिए क्योकि चिन्ता हमे रोगी बना देती है। चिन्ता चिता समान।

बाते सुनने मे छोटी लगती है मगर इन्हे आजमाया जाए तो यही छोटी बाते लाख की बन जाती है। अब मर्जी आपकी की खुद को स्वस्थ रखना है या बिमारियो का बंडल। सही दिशा निर्देश जीवन बना देते है, इन्हे अनसुना कर देने पर जीवन बरबाद कर लेते है।

स्वस्थ रहे, व्यस्त रहे,मस्त रहे। इसी आशा से विदा ले रही हुँ। विदा ली है अलविदा नही कहाँ। इसका मतलब फिर लौटुंगी किसी नई जानकारी के साथ आज के लिए बस इतना ही। भगवान पुरे संसारवासियो को कोरोना की भयानक पकड से बचाए शुभआशिष

सधऩ्यवाद—

हनुमान सिता का अशोक-वाटिका संवाद—-

हनुमान जी का माता सिता से आज्ञा मांगना— भुख लगी है फल खाना चाहुँ जो माता ( सिता से आज्ञा ) की आज्ञा पाऊ। माँ सिता का उत्तर—देख-देख कर तुम फल खाना रखवालो को भुल ना जाना निशाचरो ( रात्रि मे विचरण करने वाले ) का है यह धाम।

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