हमारा शरीर जितना तंदुरुस्त होता है उतना ही हमे सुरक्षा घेरा मिलता है वायरल बिमारियो से बचाव के लिए। एक युवा शरीर जितना सुरक्षित होता है उतना बच्चे और वृद्ध सुरक्षित नही होते। कुछ घरेलु उपाय नियमो से हम खुद को और परिवार को कैसे सुरक्षित रख सकते है आओ जानते है कुछ घरेलु उपाय जो सदियो से दादी- नानी अपनाती रही है।
खाने की सामग्री से, स्वच्छ आदतो, रहन-सहन के नियमो, आचार-विचार की शुद्धि के माध्यम से इन सब बातो पर जरा ध्यान करेगे तो हमे यह पता चलेगा कि हम किन कार्यो को गलत तरीके से कर के या किन गलत वस्तु का भोजन करके अपने शरीर को नुकसान पहुचाते है।

(1) नीम––8-10 नीम की पत्तियाँ साफ पानी से धोकर ले उसमे 3-4 तुलसी पत्तियाँ पानी से धोकर ले दोनो को पिस कर इसका लेप तैयार कर ले चटनी की तरह पेस्ट बना कर शरीर पर दाद,खाज,खुजली,चकते, स्याहियाँ,झाईयाँ, होने पर या किसी भी प्रकार के चर्म रोग होने पर इस पेस्ट को लगाए और कुछ देर लगा रहने दे सुखने पर गुनगुने पानी से इस पेस्ट को शरीर से हटा दे।
( 2 ) नीम की ताजा पत्त्तियो को सुबह खाली पेट शुद्ध पानी से धो कर चबा कर खा ले इससे खुन की शुद्धि होगी और शरीर पर होने वाली स्कीन एलर्जी मे राहत मिलती है।
( 3 ) हल्दी को बारिक पिस कर उसके पाउडर को दुध मे मिला कर लेने से शरीर मे बल मिलता है। रक्त शोधन होता है। फैफडो मे जमा हुआ मल ( बलगम, कफ ) दूर होता है।

( 4 ) ताजा अदरक को पिस कर उसका रस निकाल कर उसमे शहद मिला कर लेने पर फैफडो की सफाई होती है बलगम ( टाॅक्सिन ) शरीर से बाहर निकल जाते है।
( 5 ) पान का पत्ता और अजबाईन को पानी मे उबाल कर उसका काढा बना कर बच्चो को पिलाने से फैफडो मे जमा मल सुख कर निकलता है। सर्दी- कफ दूर होता है। अगर बच्चो को निमोनिया हो जाए तो एक पान पत्ते मे दो चम्मच अजबाईन एक गिलास पानी मे तब तक उबाले जब तक पानी चौथाई रह जाए फिर इसे ठण्डा करके बच्चो को पिलाए निमोनिया मे राहत मिलती है। बडे अगर पान का पत्ता धोकर चबा कर खाए तो निमोनिया, जुखाम,सर्दी से शरीर को तंदुरुस्त करने मे लाभ होता है।
( 6 ) आम वात ( पेट मे जमा मल,टाॅक्सिन ) होने पर बेलगिरी फल का मुरबा खाने से आम-वात रोग मे फायदा होता है आम कट कर शरीर से बाहर आते है और शरीर तंदुरुस्त हो जाता है।
( 7 ) आम-वात ( पेट मे टाॅक्सिन होना ) होने पर चावल के संग दही लेने पर आम-वात मे राहत मिलती है और आम ( टाॅक्सिन ) पेट से कट कर बाहर निकल जाते है।
( 8 ) टमाटर का पतला सा सूप बनाकर पिने से आंतो का शोधन होता है। आँतो मे जमा मल बाहर निकल जाता है और इस तरह आँतो की सफाई हो जाती है। कब्ज होने पर भी टमाटर का पतला सूप पिने से कब्ज दूर हो जाता है पेट की सफाई हो जाती है। टमाटर का पतला सा सूप आँतो और पेट की क्लिंजिंग का काम करता है।

( 9 ) अदरक,मुलठी,काली मिर्च इनको मिला कर चाए बनाई जाए तो वह चाए सर्दी,जुखाम,बुखार मे राहत देते है। शरीर को तंदुरुस्त करते है।
( 10 ) भुने हुए चने के संग गुड मिला कर खाने से शरीर को बल मिलता है। शरीर मे बिमारियो से लडने की पावर आती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। चने खाने से सर्दी-जुखाम भी ठीक होता है।
( 11 ) लौंग का पानी उबाल कर उससे कुला करने पर दातो का दर्द ठीक होता है। लौंग के पानी से कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है। इससे दांतो,मसूडो की तकलिफ मे राहत मिलती है। दांत दर्द होने पर लौंग दांतो मे रखने से दर्द मे राहत आती है।
( 12 ) सूखे मेवे बादाम,अखरोट,काजु,किशमिश, नोजे, अंजीर, सूखे आडू, पिस्ता,भुनी मुॅगफली, आदि इन मेवे को रोज खाने से शरीर को बल मिलता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। जब शरीर मे रोग प्रति रोधक क्षमता बढती है तो हमे किटाणुओ, विषाणुओ, वायरस आदि शरीर को हानि पहुचाने वाले वायरल से लडने की शरीर के पास ताकत आती है। तभी इन्हे बलवर्धक कहते है।
( 13 ) सब्जियो मे डालने वाले कई सूखे मसाले ( लौंग,बडी- इलाईची, छोटी-इलाईयी, तेज पत्ता,जावित्री, सूंठ, स्टार, दालचिनी, मुलठी, जायफल, सुखा धनिया, लाल-मिर्च, सफेद मिर्च, काली – मिर्च, हल्दी, अनारदाना, अजबाईन, दाना मैथी आदि मसाले ) जिनका रोज सेवन करने से बहुत सी बिमारियो से सुरक्षा मिलती है। खास कर मधुमय ( शुगर ), उच्च-रक्त-चाप ( हाई-ब्लड-प्रेशर ) पाचन सम्बंधी समस्या आदि कई समस्याओ से बचा जा सकता है।
( 14 ) हिंग का रोज सब्जी मे डाल कर सेवन किया जाए तो आफरा आना, गैस, बदहजमी होना, पेट फूलना आदि कई समस्याओ से बचाव होता है। वात रोग मे लाभदायक होती है हिंग।
( 15 ) चंदन को घिस कर इसका लेप माथे पर लगाने से मान्सिक शांति मिलती है,मान्सिक तनाम कम होता है। चंदन, हल्दी का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से दाग धब्बे,स्याही, झाई आदि समस्याओ से निजात मिलती है रंगत निखरती है।
( 16 ) पुदिने की पत्तियो को पिस कर उसका रस निकाल कर पिने से लू होने पर राहत मिलती है। पुदिने के रस या पुदिने की चटनी खाने से मितली आना, जी घबराना जैसी समस्या मे राहत मिलती है।

( 17 ) मेट ( मुल्तानी मिटी, गाची ) का लेप लगाने से घमौरियो ( अलाईयो ) की समस्या से निजात मिलता है। मुल्तानी मिट्टी का लेप चेहरे पर लगाने से दाग, फोडे, फुंसियाँ, धब्बे, झाईयाँ आदि दूर होती है और रंगत मे निखार आता है त्वचा नरम व चिकनी हो जाती है।
( 18 ) कपूर को नारियल तेल मे मिला कर लगाने से त्वचा मे निखार आता है। फौडे,फुंसियो किल- मुहासो से छुटकारा मिलता है।
( 19 ) दही, छाछ, लस्सी के नित्य सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। दही मे शूक्ष्म जीव जीवाणु ( बैक्ट्रिया ) होते है जो हमे रोगाणु (हानिकारक बैक्ट्रिया ) से सुरक्षा देते है। दही खाने से शरीर तंदुरुस्त रहता है। दही मे नमक नही डालना चाहिए दही मे नमक से हमारे शरीर के लिए लाभदाय जीवाणु ( लाभदायक बैक्ट्रिया ) नस्ट हो जाते है। दही मे बेसन मिला कर चेहरे हाथो को धोने से रंगत निखरती है। बात धोने से बाल रेशमी होते है।
( 20 ) ताजे फल-सब्जियाँ खाने से शरीर तंदरुस्त होता है। फल,सब्जी मे पाये जाने वाले विटामिन,कार्बोहाईटस, मिनर्लस, फाईवर, प्रोटिन,जींक आदि तत्व मोजुद होते है जो हमारे शरीर को बल प्रदान करते है। फल, सब्जियो के सेवन से पाचन शक्ति सबल रहती है। शरीर के सभी अंग शुचारु रहते है।

( 21 ) धान-दाले सभी प्रकार के धान-दाले आदि मे प्रोटिन,केल्सियम, फाईवर, विटामिन,कार्बोहाईटस आदि तत्व पाये जाते है,जो हमे बल प्रदान करते है इन से शरीर मे ताकत मिलती है और शरीर रोगो से खुद के बचाव के प्रयत्न स्वयम करता है।
( 22 ) पानी रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी जरुर पिना चाहिए इससे शरीर मे ताप नही बढता। शरीर मे पित्त संतुलित रहती है। पानी की कमी होने पर शरीर मे पित्त ( तेजाब बनना, ऐसिडिटी बनना ) का प्रकोप होने लगता है। पानी मिनर्ल के रुप मे भी मिलता है जो फल-सब्जियो मे पाया जाता है।
( 23 ) नारियल मे मिश्री मिला कर खाने से शरीर मे बढ रहे पित्त ( अम्लता, ऐसिडिटी ) को कम किया जा सकता है। नारियल पानी पिने से भी अम्लता ( ऐसिडिटी ) कम होती है। सर्दियो मे नारियल के संग गुड मिला कर लेने से ठण्ड से बचने के लिए शरीर को बल मिलता है।
( 24 ) तील -गुड मिला कर इसके लड्डू, चकली,गजक, रेवडी खाने से सर्दी मे राहत मिलती है। तील-गुड खाने से बहु मूत्रता की समस्या से निजात मिलता है। शरीर मे बल बढता है। तील के तेल की शरीर पर मसाज करने से त्वचा मे निखार आता है, वात-रोग मे राहत मिलती है।
( 25 ) तेल खाने से शरीर मे वात प्रकोप कम होता है। तेल की मसाज शरीर पर करने से शरीर के सूखा रोग से मुक्ति मिलती है। तेल मे नील मिला कर शरीर के जले हुए स्थान पर तुरंत लेप करने से जलन कम होती है।
( 26 ) गाय का देशी घी का नित्य प्रति सेवन करने से शरीर बलशाली बनता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है।