सच्चा प्यार पहचाने

बहुत से लोग पति-पत्नि या कोई अन्य यह नही समझते की उन्हे सच्चा प्यार है। वे लोग इस सच्चे प्यार की तलाश मे बेकार इधर-उधर के लोगो मे तलाशते रहते है।ऐसा करके वे अपना निजी जीवन बर्बाद कर बैठते है। साथ रहना साथ मे हर प्रकार का काम करना यह प्यार नही होता। सच्चे प्यार मे कोई शर्त नही होती। सच्चे प्यार मे बंधन नही आजादी का अनुभव होता है। सच्चे प्यार को पा लेने के बाद बाकि कुछ पाना इसकी चाहत नही रहती। सच्चे प्यार मे किसी तरह की नजदिकी ना भी हो पर हमे प्यार फिर भी रहता है।

ढोला-मारु राजस्थान के सच्चे प्रेमी लोकनायक

सच्चे प्यार को आप खुद पहचाने। कौन है आपका सच्चा प्यार। चलो आज हम इसी पर कुछ चर्चा करते है। सच्चे प्यार मे हम एक आत्मिक सुख की अनुभुति महसुस करते है। जब हम भीड मे यानि बहुत सारे लोगो परिचितो मे होते है तब हमारे मन मे जिस व्यक्ति की मौजुदगी रहती है, वह हमारा सच्चा प्यार होता है। हर पल हमे यही महसुस होता है कि वह जिससे हमे सच्चा प्यार है वह भी हमारे साथ इस भीड मे कही मौजुद है। हमारी आँखे उसे उस भीड मे तलाशती रहती है। मन बहुत बेचेन रहता है। सोचते है, काश वह भी यही मौजुद होता या होती। उस सब के चलते हम बार-बार पलट कर मुख्य दरवाजे की तरफ देखते रहते है, कही वह आ रहाँ हो या आ रही हो।

जब हम अपने कार्य स्थल मे होते है तो काम करते करते हमे एक दम से अपने सच्चे प्यार की याद आने लगती है। दिल बहुत तेज धडकने लगता है। उस की याद आते ही हमारे हाथ मे भारी पन महसुस होने लगता है मन रोने को करता है। जब उसकी याद आते ही मन मे ऐसा लगे की फुट-फुट कर रो लिया जाए तो दिल शायद हल्का हो जाए ( बे पनाह प्यार है तु आजा तेरा इंतजार है तु आजा इस तरह के भाव बनते है मन मे ) । हम दोस्तो, सहकर्मियो के या अन्य रिस्ते वालो से बातचित करते है तो हमारा मन उनकी बात मे रस नही लेता फिकी सी हँसी या हुँ, हाँ बस इतना बोलना भी हमे भारी होता है। उस समय हमारी आत्मा बेहद दुखी रहती है। खुशी के माहौल मे भी हम एक नौटकी मात्र ही उस महफिल मे आनन्द लेते है।

दुनिया को पता ना चले कि आप किसी को बुरी तरह से याद कर रहे है इस लिए बनावटी हँसी या इधर-उधर की बेकार की बातचित करते है, या बातचित करने से कतराते है, और सब से कही दुर जा कर बैठ अपने सच्चे प्यार की याद मे खो जाते है। आपको पता भी नही चलता पार्टी मे क्या कुछ हो रहाँ है। इसके उल्टा जब किसी महफिल या भीड-भाड वाले स्थान पर आपका सच्चा प्यार आपके संग होता है तो आपके चेहरे की रोनक देखते ही बनती है। आप उस महफिल मे बहुत आनन्नद लेते है और अपने सच्चे प्यार को बार-बार निहारते रहते है। इस हाल मे आप बहुत हँसी मजाक करते है। जब आप कुछ दिन के लिए अपने सच्चे प्यार से दुर होते है तो आपको लगता है, सालो बीत गए उनसे मिले हुए। बार-बार उनका हालचाल पुछते है, फोन करते है।

जब कोई आपके प्यार का बहुत पसंदिदा सामान बाजार मे मिलता है आप उससे तौहफे के रुप मे जरुर लाते है। वहाँ मिलने वाले हर इंसान मे आप अपने सच्चे प्यार की छवि उस अनजान व्यक्तियो मे भी देखते है ( जीधर देखु नजर आती है तेरी तस्वीर ) इस तरह की हालत रहती है। आपका सच्चा प्यार जैसे कपडे पहनता है कोई विषेश पौशाक ठीक बैसी ही पौशाक पहने कोई आपके सामने आता है उसको देख कर आप एकदम से बेचेन हो जाते हो। आपको अपने सच्चे प्यार की याद आने लगती है।

कुल मिला कर देखा जाए तो यही बात निकल कर सामने आती है कि जब हमारा सच्चा प्यार हमारे साथ होता है तो हम बहुत खुश रहते है हर गतिविधी मे भढचढ कर भाग लेते है। जब हमारा सच्चा प्यार हमसे दुर होता है तो हम बहुत उदास से रहते है। कुछ भी काम करने का मन नही होता दिल मे भारी पन बना रहता है। नजर हर पल-हर जगह उसे तलाशती रहती है। मन मे उसके ही ख्याल आते रहते है। उसकी अच्छी-बुरी हर तरह की बाते याद आती रहती है। उसके बुरे व्यवहार करने यानि लडाई झगडा करने पर भी कुछ समय पश्चात हम उसके करीब चले जाते है या उसके करीब जाने का मन करता है।

जब हम अपने प्यार से काफी दुरी महसुस करते है तो मन मे यही लगता है कि जब वह सामने आऐंगे तो उन्हे हम झट से गले लगा कर खुब रोऐंगे और फिर अपने से कभी दुर नही जाने देगे। जब हम तन्हा यानि अपने सच्चे प्यार से दुर होते है तो बस प्यार भरे नगमे सुनना पसंद करते है। जैसे याद के गाने बिछोह के गाने ( याद तेरी आती है बडा तडपाती है सारी रैंना फिगे नैना मुझको सता जाती है ) (तुम याद ना आया करो याद आने से पहले ही तुम आ जाया करो ) इस तरह के सांग सुनना अच्छा लगता है मन मे एक सुकून सा महसुस होने लगता है। सच्चे प्यार से हमे किसी वस्तु या जरुरत की फरमाई नही होती क्योकि हमारी सारी फरमाई वह खुद ही होते है बस हरदम वह अपने साथ रहे इसी मे हमे संतुष्टी मिलती है।

जब हम अपने सच्चे प्यार से कभी लडाई-झगडा कर लेते है तो कुछ समय तो हम नाराज हो कर दुर रह लेते है मगर जब हमारा गुस्सा शांत हो जाता है तब फिर वही मिलने की चाह पैदा होती है हम उनके पास किसी ना किसी बहाने पहुच ही जाते है। चाहे वह हम से नाराज हो या हमारे पर हँसे हम इसकी परवाह नही करते है। ( दिल के टुकडे-टुकडे करके मुस्कुरा के चल दिये जाते-जाते ये तो बता जा हम जीऐंगे किसके लिए ) जो लोग किसी से सच्चा प्यार करते है उन्हे फिर जीवन मे किसी दुसरे तीसरे की जरुरत नही रहती ऐसे मे चाहे वह सच्चा प्यार हमारे संग रहे या हमसे नाराज होकर दुर चला जाए। हर हाल मे हम एकदम वफादार रहते है। सच्चे प्यार मे कभी कोई और नही आ सकता क्योकि सच्चे प्रेमी दिल से बहुत पास होते है इस लिए किसी अन्य के लिए जगह बचती ही नही।

हमारे भारतीय समाज मे ऐसे सच्चे प्रेमी भरे पडे है जीन्हे पति-पत्नि का दर्जा दिया जाता है यही सच्चे प्रेमी होते है।जब विवाह की पद्धति निभाई जाती है यानि विवाह की रस्मे तब हम फैरो मे हवन के माध्यम से देवताओ का आवाहन करते है सुखी जीवन के लिए और पति-पत्नि का मिलन जनमो-जन्मांतरो का मानते है। पर आजकल कुछ लोग आधुनिकता और पाश्चातय के चक्कर मे मूर्ख बनते जा रहे है तभी तो गर्ल फ्रैंड और बाॅए फ्रैंड जैसे वाहायात रिस्ते कायम करके अपने समाज के बनाए नियमो मर्यादो को तौड कर बेशर्मी का खुला पर्दशन करते है।

मूर्ख लोग पता नही किन-किन हदो को पार कर जाते है। फिल्मी दुनिया मे विचरने लगते है। पति-पत्नि को धोखा देकर चोरी-चोरी दुसरे महिला-पुरुष से नाजायज सम्बंध स्थापित करते है जो की हमारे समाज की मान्यतो को नष्ट करने भर का काम ही करते है और इसके साथ ऐसे लोग अपने सच्चे प्यार से धोखा करके सच्चे प्यार से दुर हो जाते है। बस बनाबटी रिस्ते बनाबटी लोग ही शेष रहते है। यह सब करना समाज को तौडने का काम ही है। जीतना हो सके आप समाज की मर्यादा की कदर करे अपने जीवन साथी से वफा करे। अपने जीवन को नरक बनने से रोके।

भारत मे बहुत से सच्चे प्रमियो की कहानियो के चर्चे होते है। जैसे लैला-मजनु,हीर-रांझा,शिरी-फरहाद, शशि-पुन्हु, राजस्थान के ढोला-मारु, रामु-चनणा, मुंमल आदि

मुझसे जितनी जानकारी इस तथ्य पर मिली वही लिखी और आप कोई इस विषय मे इसके अतिरिक्त जानकारी रखते है तो अवश्य लिखना काॅमेंट बाक्स मे इससे दुसरो को भटकने से बचाया जा सके। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज मनुष्यो का जीवन सुचारु रहे इस लिए कुछ दायरे,कायदे-कानीन निर्धारित करता है और इन कायदे कानीनो के दायरे मे ही जीवन यापन करके मनुष्य खुद सुखी और दुसरो को सुखी कर सकता है। इस लिए भटकते कदमो को दायरे मालूम होने पर वह सम्भल सकते है। आप सबकी जानकारी के लिए लेख पर अभिनन्दन।

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