नव-ग्रह के राजा सूर्य देव (ग्रह ) का संक्षिप्त वर्णन

हमारे ब्रह्मांड मे अनैक ग्रह और तारे स्थित है। जीसमे से कुछ ग्रह जो हमारे शरीर और मानस पटल पर गहरा असर डालते है। भारतीय शास्त्रो मे और ज्योतिष्य ज्ञान मे नव ग्रह का विषेश महत्व है। नव ग्रह मे सूर्य,चंद्र,मंगल,बुद्ध,बृहस्पति,शुक्र,शनि,राहुँ,केतु शामिल है। इनमे से कुछ सौम्य ग्रह है और कुछ क्रूर ग्रह है। सूर्य,शनि,मंगल,राहुँ ग्रह क्रूर ग्रह है। शुक्र,बुद्ध,बृहस्पति सौम्य ग्रह है। सभी ग्रहो की थोडी सी जानकारी हम लेते है। आईए इन नव ग्रहो के बारे मे कुछ जानकारी हांसिल करे।

सूर्य ग्रह——-

ज्योतिष्य ज्ञान मे सूर्य ग्रह का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । सूर्य एक विशालकाय ग्रह है। इस ग्रह मे से लाल रंग की रश्मिया ( गैसिय किरणे ) निकलती है इस लिए इसका रंग लाल रंग का होता है। इस ग्रह के गैसिय आवरण से निरंतर गैसे विद्यमान रहती है इन गैसे के गतिमान होने पर ही हमे तेज ( ताप )और रोशनी मिलती है।

ज्योतिष्य दृष्टि से और शास्त्रो मे वर्णित विवरण के अनुसार सूर्य देव का यह ग्रह है इस लिए इसे सूर्य ग्रह कहते है। सूर्य देव रथ मे बैठ कर पुरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाते रहते है। सूर्य देव के रथ पर सात घोडे होते है। अनुमान तहः ये सात घोडे सप्ताह के सातो वार है ( सोम,मंगल,बुद्ध,बृहस्पति,शुक्र,शनि वार ) किव्दन्ती– राम भक्त हनुमान ने बचपन मे सूर्य की चमक से प्रभावित हो कर उसे खाने की वस्तु समझ कर मुँह मे रख लिया था। जब सभी देवताओ ने भगवान की स्तुति की तब कही जाकर हनुमान ने सूर्य को वापस मुँह से बाहर निकाल कर मुक्त कर दिया था।

सूर्य ग्रह के कारण हमारे शरीर मे जो विषेश प्रभाव होते है वे है— सूर्य को अस्ति ( हड्डियो ) का कारक मानते है। सूर्य से हमारे नैत्र के बारे मे जानकारी मिलती है। हमारे हृदय की जानकारी भी सूर्य से मिलती है इसके साथ जीस भाव मे और जीन ग्रहो के संग होता है उसका भी भला बुरा असर इन सब की जानकारी ले कर हम सूर्य से होने वाले रोगो से मुक्ति पाने का उपाय ज्योतिष्य शास्त्रो मे हमे भलि भाति मिलता है।

जीवन मे सूर्य के प्रभाव सरकारी नौकरी मे मिलता है। सरकारी नौकरी करना उसमे उन्नति करना सब सूर्य के अनुसार देखा जाता है। बच्चो को पिता से मिलने वाला सुख भी सूर्य से देखा जाता है। जीनका सूर्य खराब स्थिति मे हो या खराब प्रभाव मे होता है तो उनको पिता से भरपुर सुख नही मिल पाता है। इसके लिए कारण कुछ भी हो सकता है पिता दुर्व्यसनि हो या पिता बीमार रहता हो या पिता की मृत्यु समय से पहले यानि बच्चे के बचपन मे हो गई हो इन सब बातो की जानकारी कुंडली मे सूर्य की स्थिति देख कर ही पता लगा सकते है।

हमे बार बार अपमान मिलता हो या सरकारी नौकरी नही मिलती अगर मिल भी जाती है तो नौकरी मे बहुत परेशानी आती है। कभी-कभी सरकारी नौकरी से सस्पेंड भी होना पड जाता है। इसी स्थिति होने पर सूर्य को ही देखा जाता है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। हमारे शरीर मे विद्यमान हमारी आत्मा की जानकारी भी सूर्य से मिलती है। मान्यतानुसार जब दुल्हा-दुल्हन की शादी होती है तो उनकी विवाह पद्धति के अनुसार सूर्य देव का आवहान करके उनसे दोनो जीवो की आत्मा के मिलन की विनती की जाती है। तभी तो वे एक आत्मा के सूत्र मे बंध कर जीवन भर भरपुर प्रेम पाते है एक दुसरे के संग सोहार्दपूर्ण व्यवहार करते है। इसी लिए आत्मा के मिल होने पर दोनो को एक दुसरे से भरपुर प्यार मिलता है और इसी कारण भारतीय समाज मे पति-पत्नि एक दुसरे के सुख-दुख के साथी बन कर एक-दुसरे को सुख पहुचाते हुए साआनन्दपूर्ण जीवन निर्वहन करते है। यही कारण है कि भारतीय समाज मे तलाक की स्थिति नही बनती। कुंडली मिलान मे दोनो के (वर-वधु ) सूर्य को देखा जाता है

सूर्य ग्रह से हमे औज ,तेज मिलता है। यही औज व तेज हमे अपने कामो को करने मे सफलता देता है। जीनको सूर्य से साकारात्मक ऊर्जा प्राप्त नही होती वे लोग थके-थके से निस्तेज से रहते है उन्हे काम मे आलस आता रहता है। चहरे पर तेज भी सूर्य से देखते है। मस्तिष्क के बारे मे भी सूर्य को देखा जाता है।

सूर्य ग्रह को मजबूत करने या इसके परिणामो मे शुभता लाने के लिए इसके बीज मंत्रो का जाप कर के सूर्य से हम साकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकते है। रोज सुबह स्नान आदि करके सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य की साकात्मक किरणे हमारे शरीर को मिलती है तो उससे सूर्य से सम्बन्धित अंगो को बल मिलता है। आँखो की रोशनी भी सूर्य से देखते है। दाँतो के बारे मे भी सूर्य से ही जानकारी मिलती है। जीन लोगो को हृद्य सम्बंधित परेशानी हो वे सूर्य के उपाय यानि सूर्य बीज मंत्र का जाप करे, सूर्य को अर्घ्य देवे, आदित्य हृद्य स्त्रोत का पाठ करे।

सूर्य से सम्बंधित रंग लाल है। जीनका सूर्य बलवान हो और शुभ परिणाम देने वाला हो उन्हे लाल रंग के वस्त्रो का उपयोग करना लाभप्रद होता है। महिलाए लाल साडी,सूट पहन सकती है,पुरुष लाल कमछा ( कंधे रखने वाला वस्त्र ) या लाल रुमाल रख सकते है। पहनना पसंद हो तो लाल सर्ट इससे सूर्य को बल मिलता है। जीनका सूर्य खराब हो उन्हे लाल रंग के वस्त्रो का चयन नही करना चाहिए। नित्य देव स्थानो यानि मंदिरो मे जाने से सूर्य का शुभ फल मिलता है।

सूर्य से सम्बंधित टोटके—-

किसी शुभ काम मे जाते समय या सरकारी नौकरी के लिए जाते समय घर से कुछ मिठाई या गुड खा कर फिर पानी पी लेवे फिर यात्रा करे सफलता मिलने की सम्भावना भडती है ऐसा करने से। सूर्य ग्रह के दुष्परिणामो से बचने के लिए लाल गाय को गुड या रोटी मे गुड लपेट कर खिलाए। जो लोग सूर्य से सम्बंधित कार्य करते है उन्हे रविवार को मिठाई जरुर खानी चाहिए इससे उन्हे सूर्य के साकारात्मक परिणाम मिलते है।

वास्तुनुसार सूर्य —–

वास्तु के अनुसार घर मे सूर्य का स्थान घर की पूर्व दिशा होती है। नगर मे सूर्य का स्थान नगर की पूर्व दिशा और देव स्थान जहाँ पूजा अर्चना होती हो मंदिर आदि। घर के पूर्व दिशा को हमेशा साफ-सुधरा रखना चाहिए यहाँ किसी प्रकार का भारी सामान या गंदगी नही रखनी चाहिए तभी सूर्य के साकारात्मक प्रभाव घर मे रहने वालो को मिल पाएगा। पूर्व दिशा मे पुष्प-वाटिका स्थापित करने से घर मे शुभता आती है। पूर्व दिशा मे पेड नही लगाने चाहिए और घर के बाहर भी अगर पूर्व मे पेड हो तो वह अशुभ परिणाम ही देगा इस लिए घर के अंदर और बाहर पूर्व दिशा मे पेड नही लगाने चाहिए। लाल पुष्प वाले पौधे लगाने से सूर्य के साकारात्मक परिणाम मिलते है।

सूर्य ग्रहण—–

सूर्य को ग्रहण तब लगता है जब राहुँ सूर्य के पास से गुजरता है। सूर्य ग्रहण लगने मे पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चंद्रमा कुजरता है तो ग्रहण लगता है। जीस जगह पर सूर्य और पृथ्वि पर चंद्रमा की परछाई पडती है वही समय सूर्य ग्रहण का होता है। राहुँ एक छाया ग्रह माना जाता है इस लिए चंद्रमा की छाया पडने पर सूर्य ग्रहण होता। किसी छाया को ही राहुँ माना जाता है इस लिए शास्त्रो मे सूर्य ग्रहण के वक्त सूर्य को राहुँ ग्रस लेता है यह बात तर्कसंगत हो जाती है।

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