गाडिया लुहारो का काफिला एक शहर से दुसरे शहर और एक गांव से दुसरे गांव जाया करता था। मगर धिरे-धिरे अब गाडिया लुहारो मे बदलाव आने लगा था। अब बहुत से गाडिया लुहारो को सरकार ने घर बनाने की जगह दी और वे एक गाव या शहर मे बस गए मगर कुछ गाडिया लुहार अपनी पुरानी परम्परा के अनुसार ही इधर-उधर घुमते है।
कहानी के पात्रो का पहला जन्म इन्ही गाडिया लुहारो के यहाँ हुआ। कहानी के पात्र उस जन्म मे इनके नाम थे कहानी के पुरुष पात्र का नाम हरिया था और महिला पात्र का नाम साम्ली था। हरिया के माता- पिता तो अभी भी घुमकड जीवन जी रहे थे, मगर साम्ली के माता -पिता को सरकार से जमीन मिल गई थी। उस जमीन पर उन्होने अपने रहने के लिए एक पक्का घर बना लिया था। साम्ली के माता- पिता साम्ली का बहुत लाड प्यार से पालन कर रहे थे। उधर हरिया के माता -पिता मे से पिता तो ठीक थे मगर हरिया की माँ बहुत क्रोद्ध वाली थी। हरिया के पिता हर दम शांत रहते पर हरिया की माँ को कोई ना कोई बात से परेशानी लगती और दुसरो से जलना उसकी फिदरत बन गई थी।
अब एक बार हरिया का काफिला उस गांव मे गया जहाँ साम्ली के माता- पिता रहते थे। दोनो परिवारो हरिया और साम्ली की आपस मे मुलाकात हुई और हरिया के पिता और साम्ली के पिता ने अपने बच्चो हरिया और साम्ली का रिस्ता तय कर दिया। अब जल्दी ही उन दोनो हरिया और साम्ली की शादी हो गई। साम्ली अपने माता- पिता के लाड प्यार मे पली थी इस लिए हरिया भी उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश करता था। हरिया की माँ को साम्ली फूटी आँख भी नही सुहाती थी। वो हरदम यह सोचती रहती की किस तरह से साम्ली से पीछा छुट जाए।

इधर हरिया माँ के बिचारो से बेखबर साम्ली के संग प्रेम की डोर पर चढ चुका था। साम्ली को बचपन से एक इच्छा थी कि वो थियेटर मे लगने वाली हर फिल्म को देखे। इस लिए हरिया हमेशा जब भी थियेटर मे कोई फिल्म लगती वो साम्ली को दिखाने ले जाया करता था। हरिया साम्ली से बहुत प्यार करता था और हरदम उसे खुश रखता।अब साम्ली भी खुश थी उसे हमेशा हर नई फिल्म को देखने का मौका मिलता। फिल्म देख कर साम्ली के मन मे हीरोईन ( फिल्मी अदाकारा ) बनने की तमन्ना रहती जब भी हरिया और साम्ली एक साथ बैठते साम्ली हरिया के सामने फिल्मी डाॅयलाग बोलती। गाना गाती नाचती। मानो कोई फिल्म चल रही है और साम्ली उस फिल्म की हीरोईन है बिलकुल ऐसे ही लगती।
अब धिरे-धिरे दिन गुजरने लगे और अब वो दिन आ गया जब साम्ली पहली बार माँ बनने जा रही थी। इस खुशी से साम्ली के माता- पिता साम्ली को अपने संग ले जाने आए थे। अब साम्ली और हरिया दोनो ही बहुत उदास हो गए थे, क्योकि उन दोनो को लम्बी जुदाई जो सहनी पड रही थी। कहाँ तो हरिया एक मिनिट के लिए भी साम्ली से दुर नही होता था, मगर अब दोनो को कितना दुर रहना पडेगा। यह सोच कर दोनो भावविभोर से होकर रोनो लगे। अब हरिया मन मे हिम्मत बढाते हुए साम्ली को हौंसला बंधाने लगा कि तु चिन्ता ना कर मै तुझे मिलने आता रहुँगा। अब साम्ली अपने पति से विदा लेकर अपने माता पिता के घर अपने पीहर रहने चल पडी।
साम्ली को गए कुछ ही दिन हुए होंगे की अब साम्ली हरिया की याद मे व्याकुल हो रोने लगती। साम्ली की माँ उसे बहुत समझाती पर साम्ली का मन नही मानता। उधर हरिया का भी साम्ली को याद करके मन बहुत दुखी रहता। हर समय अपना काम करते हुए उसे साम्ली की याद आती मन मे साम्ली की चिन्ता रहती। वो सोचने लगता पता नही साम्ली ठीक से भोजन करती होगी या नही। कही उसका भी मेरी तरह रो- रो कर बुरा हाल तो नही हो रहाँ होगा। बस साम्ली के ख्यालो मे खोया रहता। साम्ली हर समय अपनी माँ को हरिया की ही बाते बताती रहती। हरिया की याद मे साम्ली गीत गा-गा कर अपना मन बहलाती। साम्ली कुर्जा गाती और रोती कुर्जा जनजातिय लोक गीत है। ( कुर्जा ऐ म्हारी तु तो लागे म्हाने राज धर्म की भान ( बहन ) लेजा री कुर्जा संदेशो पिया के पास।जाए बतलाई ऐ थानै थारी मारुडी याद करे हो। कुर्जा म्हारी ले जा संदेशो पिया जी रे पास )
एक दिन मौका देख हरिया ने अपनी माँ से बहाना बनाकर चोरी से साम्ली को मिलने उसके पीहर पहुंच गया। जीसे देख साम्ली बहुत खुश हुई। अब घर मे जवाई आए तो सास- ससुर को खुशी तो होनी ही थी सो साम्ली के माता- पिता ने हरिया का बहुत आदर सत्कार किया। एक दो दिन बाद हरिया वापस लौट गया। जब हरिया की माँ को लोगो से खबर मिली की हरिया चोरी से साम्ली को मिलने गया था तो उसको बहुत गुस्सा आया और अब उसकी माँ ने साम्ली के घर जा कर साम्ली से लडाई की उसकी माता- पिता को भी खरी-खोटी सुनाई। हरिया की माँ ने जो योजना बनाई वह साम्ली के माता -पिता को सुना डाली।
हरिया की माँ ने साम्ली और उसके माता- पिता को बताया अब से तुम्हारा हमारा रिस्ता खत्म बहुत जल्दी ही मै अपने हरिया का रिस्ता शंकरी से करने जा रही हुँ। शंकरी साम्ली के बचपन की सहेली थी। शंकरी के माता- पिता के पास साम्ली के माता पिता से कई गुना अधिक धन था, बस इसी लालच से हरिया की माँ ने शंकरी से हरिया की सगाई करवाने की बात सब लोगो को कह दी। अब तो यह बात सब जगह फैल गई की हरिया साम्ली को छोड कर संकरी से शादी रचाएगा। हरिया की माँ के आगे कुछ ना चलती थी माँ से डरता था इस लिए कुछ नही बोला बस चुप रहाँ। उसकी चुपी को लोगो ने उसकी सहमति समझा। अब तो हरिया की माँ शंकरी के लिए जेवर, गहने- कपडे खरीदने लगी।
उधर अब साम्ली का बेटा पैदा हुआ। साम्ली के माता- पिता ने हरिया के घर यह संदेश पहुंचाया की साम्ली ने बेटे को जन्म दिया है। यह खबर हरिया की माँ ने हरिया से छुपा दी थी। उधर जब हरिया अपने बेटे को देखने नही पहुंचा तो साम्ली और उसके माता- पिता ने रिस्ता टुटा समझ लिया। अब तो बेचारी साम्ली का रो-रो कर बुरा हाल हुआ जा रहाँ था। अपने बच्चे को जब भी गोद लेती तो रो-रो कर बुरा हाल कर लेती इस डर से साम्ली की माँ उस बच्चे को साम्ली से दुर रखती कि इसे देख कर साम्ली को बहुत दुख होता है। हरिया का गुस्सा उसकी आँखो से आँशु बन कर बह निकलते है। साम्ली गाडिया लुहार थी तो जब बच्चा पैदा हुआ तो उसे गाडी मे घास बिछा कर उस पर सुलाया गया था। अपनी रीति के अनुकुल।
अब जब शंकरी साम्ली से मिलने आई तो साम्ली शंकरी के गले लग कर बहुत रोई और कहने लगी हरिया तुझे पसंद करता है ना इस लिए ही तो उसने मुझे छोड दिया है और अब वो तुझ से शादी करेगा। शंकरी तु कितनी नसीब वाली है कि तुझे हरिया अपनी बनाने वाला है मै कितनी अभागन हुँ तभी तो हरिया ने मेरा त्याग कर दिया। अब तु उसके दिल की रानी है। देख शंकरी अब तु हरिया की पत्नि बन जाएगी तो हरिया का अच्छे से ख्याल रखना। अब हरिया तेरा पति बनने वाला है।
इस तरह साम्ली को विलाप करते देख कर शंकरी को भी रोना आ गया और उसने अपनी प्यारी सखि को गले लगा लिया, और अब दोनो सखियाँ खुब रोई फिर शंकरी ने साम्ली से कहाँ देख पगली क्या तुझे ऐसा लगता है कि मै तेरे हरिया को तुझसे अलग कर दुंगी पगली ऐसा तो तु सपने मे भी नही सोचना। तु तो मेरी प्यारी सखि है मै तुझे अपनी सौत कैसे नजर आ गई। हरिया तेरा पति ही रहेगा अब मै अपनी माँ को समझा कर हरिया से मिल कर आऊंगी। फिर देख हरिया कैसे तुझसे मिलने आता है। इतना समझा कर शंकरी अपने घर चली गई और मौका देख कर अपनी माँ के संग हरिया से मिलने चली गई।
हरिया के पास जा कर शंकरी ने हरिया को सारी बात बता दी कि तुम्हे बेटा पैदा हुआ और तुम साम्ली को मिलने भी नही आए। उधर साम्ली का रो-रो कर बुरा हाल हुआ जा रहाँ है। अब शंकरी ने हरिया को उसकी माँ की कही सब बात भी बता दी की तुम्हारी माँ मुझसे तुम्हारा रिस्ता जोडना चाहती है और मै अपनी प्यारी सखि से धोखा नही कर सकती। इस लिए मै तुम्हारे संग शादी की बात सोच भी नही सकती। अब हरिया को सब सच्च पता चल गया था। की उसको माँ साम्ली से मिलने क्यो नही जाने दे रही थी।

अब हरिया बाजार गया और वहाँ से उसने चांदी के कंगन खरीदे और शंकरी को वो कंगन पकडाते हुए कहाँ जब तुम साम्ली से मिलने जाओ तो ये कंगन तुम साम्ली को पहना देना और कहना ये कंगन मेने उसके लिए खरीदे है। जब साम्ली माँ बनने वाली थी इस खुशी से मेने उसे कंगन पहनाने का वचन दिया था। इस लिए अब ये कंगन तुम मेरी साम्ली को दे देना और मौका मिलते ही मै जल्दी ही साम्ली से मिलने आंऊगा और उसे अपने संग वापस ले आऊंगा। उससे कहना अब वो कभी भी रोए नही। हम दोनो को कोई भी अलग नही कर सकता।
अब शंकरी ने साम्ली के घर जा कर वो कंगन जो हरिया ने उसे दिए थे साम्ली को पकडा कर बोली ये देख हरिया ने तेरे लिए कितने प्यार से कंगन भेजे है इसे पहन ले अब जल्दी ही हरिया तुझे संग ले जाने को आने वाला है।पर साम्ली तो बुरी तरह से टुट गई थी। इस लिए उसे इस बात पर यकिन ही नही हो रहाँ था।वो सोचने लगे शंकरी मुझे झूठी मे बहलाने के लिए ऐसा कह रही है। अब कुछ दिन बाद हरिया साम्ली के घर आया और साम्ली के माता- पिता को लगा कि यह हमारी बेटी को धोखा दे रहाँ है और इसे साम्ली से मिलने दिया तो साम्ली बेचारी बुरी तरह टुट जाएंगी इस लिए साम्ली के माता- पिता ने उसे साम्ली से मिलने नही दिया और घर के बाहर से ही उसे वापस जाने को कह कर रवाना कर दिया।
हरिया साम्ली से बहुत प्यार करता था तो वो साम्ली को घर वापस ले जाना चाहता था। अब हरिया सोचने लगा किस तरह से वो साम्ली से मिल सकता है। उसे अब शंकरी की याद आई और वो शंकरी के घर गया फिर शंकरी को सब बात बताई और शंकरी से मदद मांगने लगा कि कैसे भी करके तुम साम्ली से मेरी मुलाकात करवा दो बस फिर तो सब ठीक हो जाएंगा। अब शंकरी ने हरिया को अपने साथ ले जाकर साम्ली के घर के सामने छिपने का बोल कर खुद साम्ली के पास चली गई और साम्ली से बातो ही बातो मे उसे अपने साथ उस जगह ले गई यहाँ हरिया छुप कर बैठा था।
अब तो हरिया साम्ली से माफी मांगने लगा उसे समझाने लगा कि सच्च क्या है। पहले तो साम्ली को उसकी बातो पर विश्वास नही हुआ । साम्ली हरिया से बोली तुमको तो शंकरी से शादी करनी है तो फिर मेरे पास क्यो आए हो मिलो अपनी प्रिय शंकरी से मुझे इससे क्या तुमने मुझे क्यो बुलाया। मुझे पता है तुम तो अब शंकरी से शादी करने वाले हो।तुम्हारी माँ ने तो शंकरी की झोली मे शगुन का नेग भी डाल दिया अब तो तुम खुश हो तुम्हे तुम्हारी प्रिय पसंद जो मिल रही है। इस तरह साम्ली अपने मन की सारी भडांस निकलने लगी और हरिया भी ज्यादा नही बोल रहाँ था। वो जानता था जब तक साम्ली के मन का दुख बाहर नही निकल जाता तब तक उसे कुछ समझाना व्यर्थ ही रहेगा।
जब साम्ली रो कर कुछ शांत हुई तो हरिया ने उसे गले लगा कर प्यार से कहाँ अरे पगली तुमने ये कैसे सोच लिया कि मुझे तुमसे प्यार नही है। मै भी तुमसे उतना ही प्यार करता हुँ जीतना तुम मुझसे प्यार करती हो। अब लाओ मुझे मेरे बेटे से तो मिलाओ मन बहुत बेचेन हुआ जा रहाँ है अपने बेटे को देखने के लिए। देखो ये मै उसके लिए कितने प्यारे नजरिये लाया हुँ पहनाओ उसे और अब तुम दोनो माँ और बेटा जल्दी से अपने घर चलने की तैयारी कर लो मै तुम दोनो को संग लेने आया हुँ और अब तुमको साथ ले कर ही वापस घर लौटुंगा। साम्ली बहुत खुश हुई। उसने अपने माता-पिता को सब बात बता कर अपने जाने की त्यारी करने लगी। साम्ली के माता- पिता ने अपनी बेटी साम्ली और नवासे ( दौहते ) के लिए बहुत सा सामान कपडे बगैरहा खरीदे और खुशी-खुशी उनको विदा किया। अब साम्ली और हरिया की गृहस्थी खुशी से गुजरने लगी थी।
जब उनका यह जीवन पुरा हुआ। अंत समय आया और दोनो एक-एक करके दुनिया से अलविदा कह कर नई दुनिया मे पहुंच गए। अब दोनो ने नए घर मे नए लोगो मे जन्म लिया। हरिया और काजल ने बोलीबुड की हस्तियो के घर जन्म इस लिए लिया क्योकि साम्ली को हमेशा फिल्मे देखना और फिल्म मे एक्टिंग करना बस यही चाहत रहती उसके मरने तक तभी वो फिल्मी हस्ति के घर पैदा हुई और फिल्मो मे अपना नाम रौशन किया।
हरिया का जन्म बालीबुड के एक डायरेक्टर के घर जन्म हुआ उसका नाम रखा गया अजय। इधर साम्ली का जन्म बोलीबुड की एक अभिनेत्री के घर पर जन्म हुआ इसका नाम रखा गया काजल। अब काजल और अजय अपने-अपने घर पल कर बडे हुए। अजय और काजल दोनो ने बोलीबुड के स्कूल मे पढाई की अजय ने अपने पिता से ट्रैनिग ली और अच्छे कलाकार बन कर फिल्मी जगत मे उभरे। उधर काजल ने भी अपनी माता की तरह फिल्म मे अभिनय कर लोगो का दिल जीत लिया। अब अजय और काजल दोनो फिल्मी हस्ति बन गए
एक बार अजय और काजल की सूटिंग के दोरान मुलाकात हुई। ये मुलाकात बढने लगी अब वे रोज मिलने लगे और फिर दोनो को एक दुसरे से प्यार हो गया। इस बात को दोनो ने अपने घर पर बताया। दोनो को रजा मंदी मिल गई और दोनो की शादी हो गई। अब अजय और काजल दोनो प्रेम बंधन मे बंध गए और खुशहाल जीवन जीने लगे इनके बच्चे हुए आम लोगो की भांति गृहस्थी चलने लगी। अजय अपनी फिल्मी लाईफ मे व्यस्त हो गए और काजल अपनी गृहस्थी बच्चो को सम्भाले मे व्यस्त हो गई पर दोनो का प्यार कम नही हुआ और इनके बीच कभी कोई तीसरा ना आ सका क्योकि इन का प्यार सच्चा प्यार था। इस जन्म का प्यार नही था दोनो मे ये तो पुराने प्रेमी थे तो कौन इनके बीच आ सकता था भला।
देखिए आत्मा का दुवारा जन्म होता है। इस कहानी से तो यह सिद्ध हो ही गया। गीता मे जीस बात का उदाहरण मिलता है की आत्मा अजर-अमर है उसे कोई मार नही सकता आत्मा एक शरीर को छोडने के बाद फिर दुबारा नये शरीर धारण करती है।