जब नारी को मान-सम्मान मिलता है. तो वो फूलो के समान खिल कर पुरे घर को खुश रखती है। परन्तु अगर नारी को कष्ट दिए जाए। उस पर अत्याचार किए जाए शारीरिक या मान्सिक रुप से पिडीत किया जाए तो नारी दुख से टुट कर रह जाती है। बस उसके मन मे तडप होती है, उस माहौल्ल से बाहर निकलने की कोशिश करती है, पर वो निकल नही पाती है, तो दुख के बादल उस पर मंडराते रहते है। इस तरह दुखी रह कर वो धिरे-धिरे डिप्रेशन का शिकार हो जाती है, और बस घर मे मायूसी ही छाई रहती है। वह तन से घर पर रहती है पर मन से टुट चुकी होती है।
इस लिए वह एक जींदा लाश ही होती है। जिसकी ना कोई चाहत बाकि रहती है ना ही कोई ख्वाईश ही उस के मन मे रहती है।वह एक बुझी हुई तिली की तरह होती है, जो कभी भी किसी शम्मा को जला कर घर रोशन नही कर सकती। जब नारी का घर परिवार मे ईज्जत, मान-सम्मान होता है, तो वह नारी कितनी भी बेवकूफ क्यो ना हो घर मे चहकती रहती है। घर भर को खुशियो से भर देती है। नारी चाहती क्या है केवल मान-सम्मान ही तो चाहती है ना वो आपसे। इसके बदले मे वो आप पर अपार खुशिया लुटा देती है। क्यो ना नारी का घर, परिवार,समाज मे मान-सम्मान किया जाए जिससे देश, घर, परिवार सभी खुशहाल हो सके। नारी खुश तो जंग खुश रहेगा।
मत करो नारी का अपमान की वो टुट कर मोती की माला सी बिखर के रह जाए। कोई पत्नि यह चाहत नही रखती कि उसे मंहगे से मंहगे उपहार भेट मे दिए जाए। बस पत्नि की चाहत इतनी सी होती है कि वो जब सबका आदर-सम्मान करती है तो बदले मे उसका भी सम्मान होना चाहिए। वो आपसे किमती समान की चाह नही रखती वो चाहती है कि आप उस से प्यार से बात करे और अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लिए घर मे रहे क्रूरता पूर्वक ना रहे। तानाशाह की तरह घर पर आप रहते है तो पत्नि के मन मे उद्वेग उत्पन्न होता है। पत्नि या घर की किसी भी नारी चाहे वो आपकी माँ हो,बहन हो, पत्नि या बेटी किसी भी रिस्ते मे क्यू ना हो नारी की चाह बस इतनी सी होती है उसे सब से प्यार मिले, सब उसका सम्मान करे।

आप चाहे तो नारी को काँच की भांति तौड कर चुर-चुर करदे और आप चाहे तो फूलो की तरह महकना सिखाए। अब आपकी मर्जी है। कैसा माहौल आप घर मे कायम कर पाते है एक क्रुर इंसान या एक सौहार्दपूर्ण इंसान बन कर सब को खुश रख सके। जब परिवार वालो खास कर पति द्वारा अत्याचार सहन करना एक दयनीय माहौल ही उत्पन होता है। घर की नारी हो या बाहर आँफिस मे काम करने वाली आपकी कूॅलीग ( सहकर्मी ) सबके साथ मधुरता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए नही तो वो नारी जिसके ऊपर अत्याचार होते है। उसका मान्सिक संतुलन बिगड जाता है, और वह आपसे नफरत करने लगती है।
नारी को अबला मत कहो इसे दो इतना सम्मान की इसे सबला बनाओ
एक चुटकला नारी पर——नारी अबला यानि जो नारी पति के आगे हाथ फैलाए कि अब रुपये दे तो मै बाजार से सामान लाऊ ऐसे बनी अबला हा-हा-हा और जब नारी आपको हाथ मे थैला पकडा कर कहे जाओ बाजार से सब सामान लाओ जो मेने लिस्ट मे लिखे है तो अब नारी बन गई सबला हा-हा-हा
जय श्री राम