लाल रति चिडिया ( कहानी )

एक बार जंगल मे एक चिडा और एक चिडिया दोनो संग रहते उनके दिन सुखपूर्वक बितते थे। दोनो दिन भर अपना काम दाना-पानी की तलाश मे घुमते शाम को दोनो अपने घौंसले मे आ जाते सुखपूर्क नींद ले अपनी दिन-भर की थकान मिटाते थे। उनका जीवन आनन्द से बित रहाँ था कि एक दिन जंगल मे उस पेड पर जिस पर वह चिडा-चिडिया रहते थे, एक दुसरी चिडिया आई। जब वह नई चिडिया आई तो उसने देखा चिडा कितना सुन्दर है और दिन-भर मेहनत भी बहुत करता है। अब ये नई चिडिया पुरानी चिडिया से जलने लगी। उसने मौका देख कर चिडे को अपनी अदाओ मे फसा लिया। पुरानी चिडिया जब दिन मे अपनी मेहनत दाना-पानी की तलाश मे निकलती तो नई चिडिया- चिडे के पास आ कर उसको अपनी अदाओ के जाल मे फसा लेती अब तो चिडा अपनी चिडिया से दुर रहने लगा।

अब तो चिडे को नई चिडिया के संग रहने मे आनन्द आता। वह पुरानी चिडिया से रोज लडाई झगडा करने लगा। इससे बेचारी पुरानी चिडिया बहुत दुखी रहने लगी। पर नई चिडिया ने चिडे पर अपना जादु कर दिया था। अब तो चिडा नई चिडिया के संग रहने लगा। उसके संग ही दाना-पानी की तलाश मे निकलता। पुरानी चिडिया बेचारी अकेली ही जंगल मे इधर-उधर भटक कर दाना-पानी चुगती। अभी भी नई चिडिया को डर था कि कही चिडा फिर से पुरानी चिडिया के पास ना चला जाए। इस लिए वह नई चिडिया रोज नई-नई योजनाए बनाती पुरानी चिडिया को मारने की। एक दिन नई चिडिया उडती-उडती शहर मे चली गई वहाँ उसने देखा की एक रंगरेज ने भट्टी मे आग जला कर उस पर पानी को उबाला फिर उस गर्म पानी मे उस रंगरेज ने रंग घोला।

तभी रंगरेज के एक छोटा सा बच्चा था उसने उस गर्म पानी मे हाथ डाल दिया । जैसे ही रंगरेज के बच्चे ने गर्म पानी मे हाथ डाला उसका हाथ जल गया और वह बच्चा दर्द से चिक्खने लगा। यह सब नई चिडिया देख रही थी ।अब उसके दिमाग मे एक उपाय सुझा। उसने तुरंत एक योजना बना ली । अब तो नई चिडिया पुरानी चिडिया के पास गई। पुरानी चिडिया बहुत भोली थी और नई चिडिया बहुत चालाक, धुर्त थी। पुरानी चिडिया को बडे प्यार से मिठ्ठा बोलने लगी ” अरी बहन तुम कैसी हो। मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी। इस लिेए चिडे को मुर्ख बना कर तुम से मिलने चली आई वो चिडा तो मुझे तुम्हारे पास आने ही नही देता था। पर मै तो तुम्हे अपनी बहन मानती हुँ, इस लिए मुझ से रहाँ नही गया। मै चली आई तुम्हे देखने। ” पुरानी चिडिया बेचारी भोली थी उस नई चिडिया की चालाकियो को समझ नही सकी और उसे गले लगा लिया और कहने लगी ” बहन तुम सच्च मे बहुत अच्छी हो। ” अब पुरानी चिडिया उस नई चिडिया की बातो के जाल मे फस गई ।

यह देख नई चिडिया ने मौके का फायदा उठा कर पुरानी चिडिया से कहाँ कि ” चलो बहन कही दुर घुम कर आए मेरा मन घुमने को कर रहाँ है। ” बेचारी भोली-भाली पुरानी चिडिया उस नई चिडिया के संग धुमने जाने को तैयार हो गई। अब तो नई चिडिया की चांदी बन गई उसने बातो-बातो मे पुरानी चिडिया को शहर की तरफ ले गई। जहाँ रंगरेज ने आग मे पानी गर्म करने रखा था। उस नई चिडिया ने पुरानी चिडिया को बातो मे उलझा कर उस गर्म रंग के पानी मे चिडिया को गिरा दिया। पर वह यह देखना भुल गई थी की भट्टी गर्म थी या बंद थी। पुरानी चिडिया के भाग्य अच्छे थे जो उस समय भट्टी बुझी हुई थी और रंग का पानी ठण्डा था। जैसे ही पुरानी चिडिया रंग वाले पानी मे गिरी उसके सारे शरीर पर रंग हो गया। वह लाल रंग का घोल था इस लिए पुरानी चिडिया पर लाल रंग चढ गया था।

जब रंगरेज ने पानी मे चिडिया को गिरते देखा तो तुरंत उस चिडिया को बाहर निकालने पहुंच गया। उस पुरानी चिडिया को रंगरेज ने बचा लिया था। इधर नई चिडिया पुरानी चिडिया को रंग के घोल मे धक्का देकर खुद छुप कर उस पुरानी चिडिया के मरने का इन्तजार करने लगी। जिस जगह नई चिडिया छुपी थी वहाँ रंगरेज ने दहकते अँगारे भट्टी से निकाल कर रखे हुए थे। अब तो नई चिडिया उन दहकते अँगारो की आग मे जल भुन गई और जोर-जोर से चिल्लाने लगी। चिडा भी नई चिडिया को ढुंढते-ढुंढते वहाँ पहुंच गया था। नई चिडिया की चिक्कखने की आवाज सुन कर उसे बचाने चला आया। नई चिडिया जो बुरी तरह से जल गई थी। उसने उस नई जली हुई चिडिया को अपनी चौंच से पकड लिया था। जली हुई चिडिया को चौंच मे ले जा कर नदी के पानी से उसकी जलन मिटाने के लिए उडने लगा।

यह देख कर अब पुरानी चिडिया को हँसी आई। उसने जोर-जोर से गाना सुरु कर दिया ” देखो नी सईयो अँधेर कती जानदा है बेकार खट्टी जांदा है लाल रति नु छड के ते बुझाकड चकी जानदा है। ” ( अरे सखियो देखो चिडा कितना बाबला ( मुर्ख ) हो गया मुझ जैसे लाल रंगी को छोड इस जली भुनी चिडिया के उठाये लिये जा रहाँ है )बस इतना सुनते ही नई चिडिया को क्रौध आ गया इस लिए चिडे से कहने लगी तुम उस पुरानी चिडिया को कुछ कहते क्यो नही। वह मेरे लिए कैसे बोल रही है और तुम चुप-चाप सुन रहे हो। इतने मे चिडा नई चिडिया को समझाने के लिए कि, मै बोलुंगा तो तुम नीचे गिर जाओगी इस लिए चिडे ने मुँह हिल्लाया ही था, कि वह नई चिडिया चिडे के मुँह से छुट गई उस जगह गिर पडी जहाँ रंगरेज ने भट्टी तपा रखी थी। वह नई चिडिया उस जलती भट्टी मे गिर गई और राख का ठेर बन गई।

अब बेचारा चिडा रोने लगा हाय मै बरवाद हो गया । मेरी प्यारी चिडिया मर गई अब मै इस चिडिया के बेगैर कैसे जीवित रहुँगा। वो चिडा भी उसी भट्टी मे कुद कर मर गया । लाल रंग मे रंगी पुरानी चिडिया वापस अपने घरौंदे मे पहुंच गई। उस का लाल रंग होने के कारण बहुत सुन्दर लगने लगी थी। उस चिडिया को जंगल के सभी पक्षियो ने बहुत मान-सम्मान दिया और सबने उस पुरानी लालरति चिडिया को अपना मुखिया बना लिया था।

कहानी से प्रेरित शिक्षा——

जब कोई किसी के लिए बुरा करने की सोचता है तो बुरा करने वाले का भी बुरा ही नतीजा होता है। कभी किसी का अहित नही करना चाहिए। अगर हम किसी के लिए गढा खोदते है तो ऊपर वाला हमारे लिए खाई खोद रहाँ होता है। बस इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए। जैसे नई चिडिया का पुरानी चिडिया को जलाने की योजना बनाना और खुद जल कर भुन जाना।

दुसरी सिख—-की कभी किसी के बुरा करने या बुरा चाहने से कुछ नही होता वही होता है जो हमारे लिए नियती ने पहले से ही निर्धारित कर रखा होता है। जैसे नई चिडिया का पुरानी चिडिया को मारने की योजना बना उसे जलाने के लिए रंग के घोल मे गिराने का कार्य करना, पर नियती कुछ और चाहती थी। इस लिए उस पुरानी चिडिया को पहले से ज्यादा सुन्दर बना दिया। अब वह लालरति हो गई थी।सबकी प्यारी बन गई।

तीसरी सिख—- किसी को भी दुसरो को देख कर अपनो का साथ छोड कर दुसरो के संग हो जाना सही नही अपनो को धोखा देने वाला जीवन मे सुखी कैसे हो सकता है।जैसे चिडे का पुरानी चिडिया जो कि उसका परिवार थी। उसको छोड कर नई चिडिया की अदाओ मे आकर उसके संग रहने लगना अपनी चिडिया को धोखा दिया। नतीजा आखिर जल कर मरना पडा उस चिडे को।

चोथी सिख—– कभी भी किसी पर जरुरत से ज्यादा भरोसा नही करना चाहिए नही तो अपने संग बुरा भी हो सकता है।जैसे पुरानी चिडिया ने नई चिडिया पर भरोसा किया और इसका नतीजा यह हुआ की उस नई चिडिया ने उसे मारने की कोशिश की वह सफल भी हो जाती अगर पानी ठण्डा ना होता।

कहानियाँ रोचक होती है। जिसको सुनने मे आनन्द आता है साथ ही वह हमे शिक्षा भी देती है। कहानी छोटे बच्चे ही नही बल्कि बडो को भी बहुत पसंद आती है। कहानी के माध्यम से हम किसी को ज्ञान बहुत आसानी से दे सकते है। किसी भी बात को कहने की सबसे सरल विधा ( तरीका ) कहानी ही है।

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