जन्माष्टमी का प्रशाद ( धनिये की पंजीरी )

श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पुरे भारत बर्ष मे बडी धुम-धाम से मनाया जाता है लोग पुरे दिन व्रत-उपवास रखते है रात के 12 बजे कृष्ण जन्म होता है फिर उसके बाद ठाकुर जी का श्रृंगार व ारती वंदन होता है ठाकुर जी श्री कृष्ण को भोजन का भोग अर्पण किया जाता है इसमे विशेष-रुप से धनिये की पंजीरी का भोग अर्पण कर के फिर इसी पंजीरी से प्रशाद-स्वरुप सभी पा कर अपना व्रत उपवास खोलते है।

कृष्ण जन्मोत्सव के समय बनाई जाने वाली धनिये की पंजीरी खास होती है । इसे बनाने के लिए हम हमारे धार्मिक ग्रंथो के अनुसार बनाए इसके लिए वेदो-पुराणो मे इस पंजीरी को बनाने के लिए जीन सामग्री का प्रयोग बताया गया है आज हम वही प्राचीनकाल से बनाई जानी वाली विधी से धनिये की पंजीरी बनाएंगे।

धनिये की पंजीरी बनाने के लिए सामग्री—-

सुखे धनिये का चूर्ण ( बारिक पिसा पाउडर )— 250–ग्राम

चीनी पिसी हुई—– लगभग 150- — ग्राम

शुद्ध देशी घी एक बडा चम्मच या आवश्यकतानुसार

अजबाईन—– दो टेवल स्पून ( छोटा चम्मच )

सूंठ ( सुखा अदरक ) —-एक छोटा चम्मच

काली मिर्च—–एक छोटा चम्मच

धनिये की पंजीरी बनाने की विधी——-

सबसे पहले हम सुखे धनिये को अच्छे से चुग विन लेंगे फिर मिक्सी मे इसे बिलकुल बारीक पिस लेंगे। अब चीनी को भी मिक्सी मे बारीक पिस लेंगे.। फिर अजबाईन, सूंठ(सुखा अदरक),काली मिर्च ) को मिक्सी मे पिस लेंगे बिलकुल बारीक पाऊडर बना लेंगे। इस तरह सभी सामग्री को तैयार करने के बाद एक मोटे पैंदे की कढाई को गैस चुल्हे पर रखेंगे, फिर गैस को जला कर घी कढाई मे डाल देगे धिमी आँच पर घी को पिंघला लेंगे। जब घी पिघंल जाएंगा तब इसमे पिसा धनिया डाल देंगे और धिमी आँच पर इसे कलछी की मदद से धिरे-धिरे कढाई मे हिलाते रहेंगे ध्यान रहे गैस की आँच बिलकुल धिमी होनी चाहिए नही तो इसके जलने का डर रहता है । लगातार कलछी की मदद से इसे हिलाते रहने से यह कढाई के तले से चिपकेगा नही और जलेंगा नही। जब यह कुछ गहरे रंग का यानि हल्का सा भुरा पन लिए गहरा हरा हो जाएंगा तब इसमे अजबाईन ,काली, मिर्च, सूंठ का पिसा हुआ पाऊडर डाल कर 1-2 मिनिट सेकेंगे।अब गैस बंद करके इसे गैस से नीचे उतार कर 1-2 मिनिट के लिए कुछ ठण्डा होने तक रखेंगे जब यह थोडा ठण्डा हो जाएंगा तब इसमे पिसी चिनी डाल कर अच्छे से कलछी की मदद से हिलाएंगे और फिर इसे ठण्डा होने रख देंगे।

रात को इसे ठाकुर जी के अर्पण कर इस प्रशाद को पुरे परिवार मे वितरण कर दे और सब इस प्रशाद को पा कर अपना दिन-भर का व्रत-उपवास खोल ले। कुछ लोग धनिये की इस पंजीरी के प्रशाद मे गौंद भी डालते है पर मंदिरो मे मिलने वाले प्रशाद मे गौंद नही होती क्योकि कुछ लोग गौंद नही खाते गौंद का सेवन वर्जीत समझते है इस लिए कुछ लोग गौंद नही खाते और शास्त्रो मे भी इस पंजीरी मे गौंद डालने का वर्णन नही है। आप चांहे तो सूखे मेवे ( ड्राई फ्रूट ) डाल सकते है वो जरुरी नही पर आपका मन है तो डाल लीजीएंगा।

एक नेक सलाह——-

मन के हारे हार है मन के जीते जीत — इस तरह मन को काबू मे रख कर हम अपनी मंजील की डगर से भटकेंगे नही और मंजील को पा लेंगे मगर अगर हम मन को काबू मे ना रख सके तो ये चंचल मन हमे बिना कारण इधर-उधर भटका कर हमे अपनी मंजील को पाने मे बाधक बन जाएंगे।

टिप्स——जब भी आप ठाकुर जी ( श्री कृष्ण जी ) को प्रशाद अर्णन करे भोग लगाए तो प्रशाद मे तुलसी दल जरुर डाले बिना तुलसी के ठाकुर जी भोग नही लगाते।

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